4 किंतु तुम, प्रिय भाई बहनो, इस विषय में अंधकार में नहीं हो कि वह दिन तुम पर एकाएक एक चोर के समान अचानक से आ पड़े. 5 तुम सभी ज्योति की संतान हो—दिन के वंशज. हम न तो रात के हैं और न अंधकार के, 6 इसलिये हम, बाकियों के समान सोए हुए नहीं परंतु सावधान और व्यवस्थित रहें. 7 क्योंकि वे, जो सोते हैं, रात में सोते हैं और वे, जो मतवाले होते हैं, रात में ही मतवाले होते हैं. 8 अब इसलिये कि हम दिन के बने हुए हैं, हम विश्वास और प्रेम का कवच तथा उद्धार की आशा का टोप धारण कर व्यवस्थित हो जाएं. 9 परमेश्वर द्वारा हम क्रोध के लिए नहीं परंतु हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा उद्धार पाने के लिए ठहराए गए हैं. 10 जिन्होंने हमारे लिए प्राण त्याग दिया, कि चाहे हम जागते हों या सोते हों, उनके साथ निवास करें. 11 इसलिये तुम, जैसा इस समय कर ही रहे हो, एक दूसरे को आपस में प्रोत्साहित तथा उन्नत करने में लगे रहो.
16 हमेशा आनंदित रहो, 17 प्रार्थना लगातार की जाए, 18 हर एक परिस्थिति में धन्यवाद प्रकट किया जाए; क्योंकि मसीह येशु में तुमसे परमेश्वर की यही आशा है.
19 पवित्र आत्मा को न बुझाओ. 20 भविष्यवाणियों को तुच्छ न समझो 21 परंतु हर एक को सावधानीपूर्वक बारीकी से जांचो तथा उसे, जो अच्छा है, थामे रहो. 22 बुराई का उसके हर एक रूप में बहिष्कार करो.
23 अंततः परमेश्वर, जो शांति के स्रोत हैं, तुम्हें पूरी तरह अपने लिए बुराई से अलग करने तथा तुम्हारी आत्मा, प्राण तथा शरीर को पूरी तरह से हमारे प्रभु येशु मसीह के दोबारा आगमन के अवसर तक निर्दोष रूप में सुरक्षित रखें. 24 सच्चे हैं वह, जिन्होंने तुम्हें बुलाया है. वही इसको पूरा भी करेंगे.