6 प्रिय भाई बहनो, यदि मैं तुमसे अन्य भाषाओं में बातें करूं तो मैं इसमें तुम्हारा क्या भला करूंगा यदि इसमें तुम्हारे लिए कोई प्रकाशन या ज्ञान या भविष्यवाणी या शिक्षा न हो? 7 निर्जीव वस्तुएं भी ध्वनि उत्पन्न करती हैं, चाहे बांसुरी हो या कोई तार-वाद्य. यदि उनसे उत्पन्न स्वरों में भिन्नता न हो तो यह कैसे मालूम होगा कि कौन सा वाद्य बजाया जा रहा है? 8 यदि बिगुल का स्वर अस्पष्ट हो तो युद्ध के लिए तैयार कौन होगा? 9 इसी प्रकार यदि अन्य भाषा में बातें करते हुए तुम्हारे बोले हुए शब्द साफ़ न हों तो कौन समझेगा कि क्या कहा जा रहा है? यह तो हवा से बातें करना हुआ. 10 विश्व में न जाने कितनी भाषाएं हैं और उनमें से कोई भी व्यर्थ नहीं. 11 यदि मैं किसी की भाषा न समझ पाऊं तो मैं उसके लिए और वह मेरे लिए विदेशी हुआ. 12 इसी प्रकार तुम भी, जो आत्मिक वरदानों के प्रति इतने उत्सुक हो, उन क्षमताओं के उपयोग के लिए ऐसे प्रयासरत रहो कि उनसे कलीसिया का पूरी तरह विकास हो.
13 इसलिये वह, जो अन्य भाषा में बातें करता है, प्रार्थना करे कि उसे उसका वर्णन तथा अनुवाद करने की क्षमता भी प्राप्त हो जाए. 14 जब मैं अन्य भाषा में प्रार्थना करता हूं तो मेरी आत्मा तो प्रार्थना करती रहती है किंतु मेरा मस्तिष्क निष्फल रहता है, 15 तो सही क्या है? यही न कि मैं आत्मा से प्रार्थना करूं और समझ से भी. मैं आत्मा से गाऊंगा और समझ से भी गाऊंगा. 16 यदि तुम सिर्फ आत्मा में स्तुति करते हो तो वहां उपस्थित अनजान व्यक्ति तुम्हारे धन्यवाद के अंत में “आमेन” कैसे कहेगा, क्योंकि उसे तो यह मालूम ही नहीं कि तुम कह क्या रहे हो? 17 निःसंदेह तुमने तो सुंदर रीति से धन्यवाद प्रकट किया किंतु इससे उस व्यक्ति का कुछ भी भला नहीं हुआ.
18 मैं परमेश्वर का आभारी हूं कि मैं तुम सबसे अधिक अन्य भाषाओं में बातें करता हूं. 19 फिर भी कलीसिया सभा में शिक्षा देने के उद्देश्य से मैं सोच समझकर मात्र पांच शब्द ही कहना सही समझता हूं इसकी बजाय कि मैं अन्य भाषा के दस हज़ार शब्द कहूं.
20 प्रिय भाई बहनो, तुम्हारी समझ बालकों के समान नहीं, सयानों के समान हो. तुम सिर्फ बुराई के लिए बालक बने रहो. 21 पवित्र शास्त्र का लेख है:
22 इसलिये अन्य भाषाओं में बातें करना विश्वासियों के लिए नहीं परंतु अविश्वासियों के लिए चिह्न का रूप है किंतु भविष्यवाणी करना अविश्वासियों के लिए नहीं परंतु मसीह के विश्वासियों के लिए चिह्न स्वरूप है. 23 यदि सारी कलीसिया इकट्ठा हो और प्रत्येक व्यक्ति अन्य भाषा में बातें करने लगे और उसी समय वहां ऐसे व्यक्ति प्रवेश करें, जो ये भाषाएं नहीं समझते या अविश्वासी हैं, तो क्या वे तुम्हें पागल न समझेंगे? 24 किंतु यदि सभी भविष्यवाणी करें और वहां कोई ऐसा व्यक्ति प्रवेश करे, जिसे यह क्षमता प्राप्त न हो, या वहां कोई अविश्वासी प्रवेश करे तो उसे अपनी पाप की अवस्था का अहसास हो जाएगा, वह अपने विवेक को टटोलेगा 25 और उसके हृदय के भेद खुल जाएंगे. तब वह यह घोषणा करते हुए कि निश्चय ही परमेश्वर तुम्हारे बीच मौजूद हैं, दंडवत हो परमेश्वर की वंदना करने लगेगा.
29 भविष्यवाणी मात्र दो या तीन व्यक्ति ही करें और बाकी उनके वचन को परखें. 30 यदि उसी समय किसी पर ईश्वरीय प्रकाशन हो, तो वह, जो इस समय भविष्यवाणी कर रहा है, शांत हो जाए, 31 तुम सब एक-एक करके भविष्यवाणी कर सकते हो कि सभी को शिक्षा और प्रोत्साहन प्राप्त हो सके. 32 भविष्यद्वक्ताओं का अपनी आत्मा पर पूरा नियंत्रण रहता है. 33 परमेश्वर गड़बड़ी के नहीं, शांति के परमेश्वर हैं—पवित्र लोगों की सभी आराधना सभाओं के लिए सही यही है,
34 कि सभाओं में स्त्रियां चुप रहें—उनको वहां बात करने की अनुमति नहीं है. व्यवस्था के अनुसार सही है कि वे अधीन बनी रहें. 35 यदि वास्तव में उनकी जिज्ञासा का कोई विषय हो तो वे घर पर अपने पति से पूछ लिया करें; क्योंकि आराधना सभा में स्त्री का कुछ भी बोलना ठीक नहीं है.
36 क्या परमेश्वर का वचन तुमसे निकला है? या सिर्फ तुम पर ही परमेश्वर के वचन का प्रकाशन हुआ है? 37 यदि कोई स्वयं को भविष्यवक्ता या आत्मिक व्यक्ति समझता है तो वह यह जान ले कि मैं तुम्हें जो कुछ लिख रहा हूं, वे सब प्रभु की आज्ञाएं हैं. 38 यदि कोई इस सच्चाई को नहीं मानता है, वह स्वयं भी माना न जाएगा.
39 इसलिये, प्रिय भाई बहनो, भविष्यवाणी करने की क्षमता की इच्छा करते रहो, अन्य भाषा बोलने से मना न करो. 40 तुम जो कुछ करो, वह शालीनता तथा व्यवस्थित रूप में किया जाए.
<- 1 कोरिंथ 131 कोरिंथ 15 ->- a यशा 28:11, 12