6 उस दिन कुछ उजियाला न रहेगा†उस दिन कुछ उजियाला न रहेगा: यह और भी अधिक न्याय के दिन का वर्णन है परमेश्वर जो स्वयं प्रकाशमान है उसके समक्ष पृथ्वी का प्रकाश फीका पड़ जाएगा। , क्योंकि ज्योतिगण सिमट जाएँगे। 7 और लगातार एक ही दिन होगा जिसे यहोवा ही जानता है, न तो दिन होगा, और न रात होगी, परन्तु साँझ के समय उजियाला होगा। (प्रका. 21:23, प्रका. 22:5)
8 उस दिन यरूशलेम से जीवन का जल फूट निकलेगा उसकी एक शाखा पूरब के ताल और दूसरी पश्चिम के समुद्र की ओर बहेगी, और धूप के दिनों में और सर्दी के दिनों में भी बराबर बहती रहेंगी। (यहे. 47:1, प्रका. 22:1,17)
9 तब यहोवा सारी पृथ्वी का राजा होगा; और उस दिन एक ही यहोवा और उसका नाम भी एक ही माना जाएगा। (प्रका. 11:15)
10 गेबा से लेकर यरूशलेम के दक्षिण की ओर के रिम्मोन तक सब भूमि अराबा के समान हो जाएगी। परन्तु वह ऊँची होकर बिन्यामीन के फाटक से लेकर पहले फाटक के स्थान तक, और कोनेवाले फाटक तक, और हननेल के गुम्मट से लेकर राजा के दाखरस कुण्डों तक अपने स्थान में बसेगी। 11 लोग उसमें बसेंगे क्योंकि फिर सत्यानाश का श्राप न होगा; और यरूशलेम बेखटके बसी रहेगी। (प्रका. 22:3) 12 और जितनी जातियों ने यरूशलेम से युद्ध किया है उन सभी को यहोवा ऐसी मार से मारेगा, कि खड़े-खड़े उनका माँस सड़ जाएगा, और उनकी आँखें अपने गोलकों में सड़ जाएँगी, और उनकी जीभ उनके मुँह में सड़ जाएगी। 13 और उस दिन यहोवा की ओर से उनमें बड़ी घबराहट पैठेगी, और वे एक दूसरे के हाथ को पकड़ेंगे, और एक दूसरे पर अपने-अपने हाथ उठाएँगे। 14 यहूदा भी यरूशलेम में लड़ेगा, और सोना, चाँदी, वस्त्र आदि चारों ओर की सब जातियों की धन-सम्पत्ति उसमें बटोरी जाएगी। 15 और घोड़े, खच्चर, ऊँट और गदहे वरन् जितने पशु उनकी छावनियों में होंगे वे भी ऐसी ही महामारी से मारे जाएँगे।
19 यह मिस्र का और उन सब जातियों का पाप ठहरेगा, जो झोपड़ियों का पर्व मानने के लिये न जाएँगे। 20 उस समय घोड़ों की घंटियों पर भी यह लिखा रहेगा, “यहोवा के लिये पवित्र।” और यहोवा के भवन कि हाँड़ियाँ उन कटोरों के तुल्य पवित्र ठहरेंगी, जो वेदी के सामने रहते हैं। 21 वरन् यरूशलेम में और यहूदा देश में सब हाँड़ियाँ सेनाओं के यहोवा के लिये पवित्र ठहरेंगी, और सब मेलबलि करनेवाले आ आकर उन हाँड़ियों में माँस पकाया करेंगे। तब सेनाओं के यहोवा के भवन में फिर कोई व्यापारी न पाया जाएगा।
<- जकर्याह 13- a यहोवा का एक ऐसा दिन आनेवाला है: जिस दिन वह स्वयं न्यायी होगा और वह मनुष्य को परमेश्वर की इच्छा को त्याग कर अपनी इच्छा पूर्ति के लिए नहीं रहने देगा तब उसकी महिमा, पवित्रता तथा उसके मार्गों की धर्म-निष्ठा प्रगट होगी।
- b उस दिन कुछ उजियाला न रहेगा: यह और भी अधिक न्याय के दिन का वर्णन है परमेश्वर जो स्वयं प्रकाशमान है उसके समक्ष पृथ्वी का प्रकाश फीका पड़ जाएगा।
- c उनके यहाँ वर्षा न होगी: वर्षा परमेश्वर की सांसारिक आशीषों में सबसे महत्त्वपूर्ण मानी जाती थी जो मनुष्यों के सांसारिक कल्याण के लिए होती थी।