9 दासों को समझा, कि अपने-अपने स्वामी के अधीन रहें, और सब बातों में उन्हें प्रसन्न रखें, और उलटकर जवाब न दें; 10 चोरी चालाकी न करें; पर सब प्रकार से पूरे विश्वासी निकलें, कि वे सब बातों में हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर के उपदेश की शोभा बढ़ा दें।
11 क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्यों में उद्धार लाने में सक्षम है†परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्यों में उद्धार लाने में सक्षम है: इसका मतलब है कि उद्धार की योजना सभी जातियों पर प्रकट की गई हैं कि वे उद्धार पा सके।। 12 और हमें चिताता है, कि हम अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर‡अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर: इस जीवन की अनुचित इच्छा, धन, भोग-विलास, सम्मान की चाह को दर्शाता है। इस युग में संयम और धार्मिकता से और भक्ति से जीवन बिताएँ; 13 और उस धन्य आशा की अर्थात् अपने महान परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की महिमा के प्रगट होने की प्रतीक्षा करते रहें। 14 जिसने अपने आपको हमारे लिये दे दिया, कि हमें हर प्रकार के अधर्म से छुड़ा ले, और शुद्ध करके अपने लिये एक ऐसी जाति बना ले जो भले-भले कामों में सरगर्म हो। (निर्ग. 19:5, व्यव. 4:20, व्यव. 7:6, व्यव. 14:2, भज. 72:14, भज. 130:8, यहे. 37:23)
15 पूरे अधिकार के साथ ये बातें कह और समझा और सिखाता रह। कोई तुझे तुच्छ न जानने पाए।
<- तीतुस 1तीतुस 3 ->- a ताकि वे जवान स्त्रियों को चेतावनी देती रहें: इसका मतलब हैं, उन्हें उनको निर्देश देना चाहिए कि उनकी इच्छा और भावना अच्छी तरह से नियमित होनी चाहिए।
- b परमेश्वर का अनुग्रह प्रगट है, जो सब मनुष्यों में उद्धार लाने में सक्षम है: इसका मतलब है कि उद्धार की योजना सभी जातियों पर प्रकट की गई हैं कि वे उद्धार पा सके।
- c अभक्ति और सांसारिक अभिलाषाओं से मन फेरकर: इस जीवन की अनुचित इच्छा, धन, भोग-विलास, सम्मान की चाह को दर्शाता है।