15 “मैं तेरे कामों को जानता हूँ कि तू न तो ठंडा है और न गर्म; भला होता कि तू ठंडा या गर्म होता। 16 इसलिए कि तू गुनगुना है, और न ठंडा है और न गर्म, मैं तुझे अपने मुँह से उगलने पर हूँ। 17 तू जो कहता है, कि मैं धनी हूँ, और धनवान हो गया हूँ, और मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं, और यह नहीं जानता, कि तू अभागा और तुच्छ और कंगाल और अंधा, और नंगा है,(होशे 12:8) 18 इसलिए मैं तुझे सम्मति देता हूँ, कि आग में ताया हुआ सोना मुझसे मोल ले, कि धनी हो जाए; और श्वेत वस्त्र ले ले कि पहनकर तुझे अपने नंगेपन की लज्जा न हो; और अपनी आँखों में लगाने के लिये सुरमा ले कि तू देखने लगे। 19 मैं जिन जिनसे प्रेम रखता हूँ, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूँ, इसलिए उत्साही हो, और मन फिरा।(नीति. 3:12) 20 देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा, और वह मेरे साथ। 21 जो जय पाए, मैं उसे अपने साथ अपने सिंहासन पर बैठाऊँगा, जैसा मैं भी जय पाकर अपने पिता के साथ उसके सिंहासन पर बैठ गया। 22 जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है।”
<- प्रकाशितवाक्य 2प्रकाशितवाक्य 4 ->- a मैं चोर के समान आ जाऊँगा: अचानक और अनापेक्षित तरीके से।
- b जिसके खोले हुए को कोई बन्द नहीं कर सकता: कि उनके राज्य में वह किसी के प्रवेश या बहिष्कार के सम्बंध में पूर्ण नियंत्रण रखता है।
- c शैतान के उन आराधनालय वालों: इसका अर्थ यह है कि, हालांकि वे यहूदियों से आए थे, और यहूदी होने का बहुत घमण्ड करते थे, परन्तु वे वास्तव में शैतान के प्रभाव के अधीन थे।