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120
परमेश्वर से मदद के लिए प्रार्थना
यात्रा का गीत
1 संकट के समय मैंने यहोवा को पुकारा,
और उसने मेरी सुन ली।
2 हे यहोवा, झूठ बोलनेवाले मुँह से
और छली जीभ से मेरी रक्षा कर।
3 हे छली जीभ,
तुझको क्या मिले? और तेरे साथ और क्या अधिक किया जाए?
4 वीर के नोकीले तीर
और झाऊ के अंगारे!
5 हाय, हाय, क्योंकि मुझे मेशेक में परदेशी होकर रहना पड़ा
और केदार के तम्बुओं में बसना पड़ा है!
6 बहुत समय से मुझ को मेल के बैरियों के साथ बसना पड़ा है।
7 मैं तो मेल चाहता हूँ;
परन्तु मेरे बोलते*मेरे बोलते: जब भी इसकी चर्चा करता हूँ, में जब भी अपनी दु:खित भावनाओं को व्यक्त करता हूँ, वे अनसुना करते हैं; उन्हें किसी बात से सन्तोष नहीं होता है। ही, वे लड़ना चाहते हैं!

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