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जीवन का लक्ष्य
1 इसलिए हे मेरे भाइयों, प्रभु में आनन्दित रहो*प्रभु में आनन्दित रहो: जब हम अपने पापों को याद करते हैं, तो अब हम आनन्द मना सकते हैं क्योंकि वह जो हमें उनसे छुड़ा सकता हैं।। वे ही बातें तुम को बार बार लिखने में मुझे तो कोई कष्ट नहीं होता, और इसमें तुम्हारी कुशलता है। 2 कुत्तों से चौकस रहो, उन बुरे काम करनेवालों से चौकस रहो, उन काट-कूट करनेवालों से चौकस रहो। (2 कुरि. 11:13) 3 क्योंकि यथार्थ खतनावाले तो हम ही हैं जो परमेश्वर के आत्मा की अगुआई से उपासना करते हैं, और मसीह यीशु पर घमण्ड करते हैं और शरीर पर भरोसा नहीं रखते। 4 पर मैं तो शरीर पर भी भरोसा रख सकता हूँ। यदि किसी और को शरीर पर भरोसा रखने का विचार हो, तो मैं उससे भी बढ़कर रख सकता हूँ। 5 आठवें दिन मेरा खतना हुआ, इस्राएल के वंश, और बिन्यामीन के गोत्र का हूँ; इब्रानियों का इब्रानी हूँ; व्यवस्था के विषय में यदि कहो तो फरीसी हूँ। 6 उत्साह के विषय में यदि कहो तो कलीसिया का सतानेवाला; और व्यवस्था की धार्मिकता के विषय में यदि कहो तो निर्दोष था। 7 परन्तु जो-जो बातें मेरे लाभ की थीं†परन्तु जो-जो बातें मेरे लाभ की थीं: जन्म का, शिक्षा का, और व्यवस्था के लिए बाहरी अनुपालन के लाभ का मसीह के कारण हानि समझ लिया है अब पौलुस उन सब बातों को प्राप्त करने या फायदे के रूप में नहीं देखता हैं परन्तु अपने उद्धार के लिये उसे एक बाधा के रूप में देखता हैं।, उन्हीं को मैंने मसीह के कारण हानि समझ लिया है। 8 वरन् मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूँ। जिसके कारण मैंने सब वस्तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूँ, ताकि मैं मसीह को प्राप्त करूँ। 9 और उसमें पाया जाऊँ; न कि अपनी उस धार्मिकता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन् उस धार्मिकता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है, और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है, 10 ताकि मैं उसको और उसके पुनरुत्थान की सामर्थ्य को, और उसके साथ दुःखों में सहभागी होने के मर्म को जानूँ, और उसकी मृत्यु की समानता को प्राप्त करूँ। 11 ताकि मैं किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुँचूँ।
लक्ष्य की ओर बढ़ते जाना
12 यह मतलब नहीं कि मैं पा चुका हूँ, या सिद्ध हो चुका हूँ; पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूँ, जिसके लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था। 13 हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूँ; परन्तु केवल यह एक काम करता हूँ, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उनको भूलकर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ, 14 निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ, ताकि वह इनाम पाऊँ, जिसके लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। 15 अतः हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा। 16 इसलिए जहाँ तक हम पहुँचे हैं, उसी के अनुसार चलें।
स्वर्ग में हमारी नागरिकता
17 हे भाइयों, तुम सब मिलकर मेरी सी चाल चलो, और उन्हें पहचानों, जो इस रीति पर चलते हैं जिसका उदाहरण तुम हम में पाते हो। 18 क्योंकि अनेक लोग ऐसी चाल चलते हैं, जिनकी चर्चा मैंने तुम से बार बार की है और अब भी रो-रोकर कहता हूँ, कि वे अपनी चाल-चलन से मसीह के क्रूस के बैरी हैं, 19 उनका अन्त विनाश है, उनका ईश्वर पेट है, वे अपनी लज्जा की बातों पर घमण्ड करते हैं, और पृथ्वी की वस्तुओं पर मन लगाए रहते हैं‡पृथ्वी की वस्तुओं पर मन लगाए रहते हैं: जिनका मन पृथ्वी की वस्तुओं पर लगा रहता है या जो उन्हें प्राप्त करने के लिए जीते हैं। । 20 पर हमारा स्वदेश स्वर्ग में है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहाँ से आने की प्रतीक्षा करते हैं। 21 वह अपनी शक्ति के उस प्रभाव के अनुसार जिसके द्वारा वह सब वस्तुओं को अपने वश में कर सकता है, हमारी दीन-हीन देह का रूप बदलकर, अपनी महिमा की देह के अनुकूल बना देगा।
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- a प्रभु में आनन्दित रहो: जब हम अपने पापों को याद करते हैं, तो अब हम आनन्द मना सकते हैं क्योंकि वह जो हमें उनसे छुड़ा सकता हैं।
- b परन्तु जो-जो बातें मेरे लाभ की थीं: जन्म का, शिक्षा का, और व्यवस्था के लिए बाहरी अनुपालन के लाभ का मसीह के कारण हानि समझ लिया है अब पौलुस उन सब बातों को प्राप्त करने या फायदे के रूप में नहीं देखता हैं परन्तु अपने उद्धार के लिये उसे एक बाधा के रूप में देखता हैं।
- c पृथ्वी की वस्तुओं पर मन लगाए रहते हैं: जिनका मन पृथ्वी की वस्तुओं पर लगा रहता है या जो उन्हें प्राप्त करने के लिए जीते हैं।