17 “फिर दूसरे दिन बारह बछड़े, और दो मेढ़े, और एक-एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के नर बच्चे चढ़ाना; 18 और बछड़ों, और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना। 19 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएँ।
20 “फिर तीसरे दिन ग्यारह बछड़े, और दो मेढ़े, और एक-एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के नर बच्चे चढ़ाना; 21 और बछड़ों, और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना। 22 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएँ।
23 “फिर चौथे दिन दस बछड़े, और दो मेढ़े, और एक-एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के नर बच्चे चढ़ाना; 24 बछड़ों, और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना। 25 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएँ।
26 “फिर पाँचवें दिन नौ बछड़े, दो मेढ़े, और एक-एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के नर बच्चे चढ़ाना; 27 और बछड़ों, मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना। 28 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएँ।
29 “फिर छठवें दिन आठ बछड़े, और दो मेढ़े, और एक-एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के नर बच्चे चढ़ाना; 30 और बछड़ों, और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार और नियम के अनुसार चढ़ाना। 31 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएँ।
32 “फिर सातवें दिन सात बछड़े, और दो मेढ़े, और एक-एक वर्ष के चौदह निर्दोष भेड़ के नर बच्चे चढ़ाना। 33 और बछड़ों, और मेढ़ों, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना। 34 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएँ।
35 “फिर आठवें दिन तुम्हारी एक महासभा हो‡आठवें दिन तुम्हारी एक महासभा हो: झोपड़ियों के अन्तिम दिन के अनुष्ठान के लिए चढ़ावे वैसी ही थे जैसे तुरहियों के त्यौहार और प्रायश्चित दिवस के थे।; उसमें परिश्रम का कोई काम न करना, 36 और उसमें होमबलि यहोवा को सुखदायक सुगन्ध देने के लिये हव्य करके चढ़ाना; वह एक बछड़े, और एक मेढ़े, और एक-एक वर्ष के सात निर्दोष भेड़ के नर बच्चों का हो; 37 बछड़े, और मेढ़े, और भेड़ के बच्चों के साथ उनके अन्नबलि और अर्घ, उनकी गिनती के अनुसार, और नियम के अनुसार चढ़ाना। 38 और पापबलि के लिये एक बकरा भी चढ़ाना; ये नित्य होमबलि और उसके अन्नबलि और अर्घ के अलावा चढ़ाए जाएँ।
39 “अपनी मन्नतों और स्वेच्छाबलियों के अलावा, अपने-अपने नियत समयों में, ये ही होमबलि, अन्नबलि, अर्घ, और मेलबलि, यहोवा के लिये चढ़ाना।” 40 यह सारी आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी जो उसने इस्राएलियों को सुनाई।
<- गिनती 28गिनती 30 ->- a प्राण को दुःख देना: अर्थात् ‘स्वयं को नम्र करो’
- b सात दिन तक यहोवा के लिये पर्व मानना: झोपड़ियों का त्यौहार (लैव्य: 23:33) इस त्यौहार के समय जिन चढ़ावों की अनिवार्यता थी, वे सबसे अधिक थे। यह त्यौहार मुख्यतः परमेश्वर को धन्यवाद देने के त्यौहार में से एक था जो भूमि के फलों के लिए परमेश्वर के प्रति आभार व्यक्त था और चढ़ावे की मात्रा।
- c आठवें दिन तुम्हारी एक महासभा हो: झोपड़ियों के अन्तिम दिन के अनुष्ठान के लिए चढ़ावे वैसी ही थे जैसे तुरहियों के त्यौहार और प्रायश्चित दिवस के थे।