गिनती लेखक यहूदी और मसीही परम्पराएँ वैश्विक रूप से मूसा को गिनती की पुस्तक का लेखक मानती हैं। इस पुस्तक में अनेक आंकड़े, जनगणना, गोत्रों और पुरोहितों से उठे नायक तथा अन्य संख्यात्मक आंकड़े हैं। इस पुस्तक में 38 वर्षों का वृत्तान्त है, अर्थात् निर्गमन के बाद दूसरे वर्ष से (जब इस्राएल सीनै पर्वत के निकट छावनी डाले हुए था) 40 वर्ष बाद, जब नई पीढ़ी प्रतिज्ञा के देश में प्रवेश करने पर थी। इसके अतिरिक्त, इस पुस्तक में निर्गमन के बाद दूसरे वर्ष और 40 वें वर्ष की घटनाओं का मुख्य विवरण है, बीच के 38 वर्षों के बारे में वह मौन है, जब इस्राएल जंगल में भटक रहा था। लेखन तिथि एवं स्थान लगभग 1446 - 1405 ई. पू. इस पुस्तक का वृत्तान्त उन घटनाओं से आरम्भ होता है जो इस्राएल द्वारा मिस्र से कूच करने के दूसरे वर्ष में घटी थी, जब वे सीनै पर्वत के निकट छावनी डाले हुए थे (1:1)। प्रापक गिनती की पुस्तक इस्राएल के लिए लिखी गई थी कि प्रतिज्ञा के देश की ओर उनकी यात्रा का लेखा प्रस्तुत करे परन्तु यह पुस्तक बाइबल के भावी लेखकों के लिए भी है कि हमारी स्वर्ग की ओर यात्रा में परमेश्वर हमारे साथ है। उद्देश्य जब दूसरी पीढ़ी प्रतिज्ञा के देश में प्रवेश करने पर थी तब मूसा ने यह पुस्तक लिखी थी (गिन. 33:2)। कि परमेश्वर की प्रतिज्ञा के देश को अपनाने के लिए उस पीढ़ी को प्रोत्साहित करे। गिनती की पुस्तक में इस्राएल के प्रति परमेश्वर की शर्तरहित विश्वास- योग्यता दर्शाई गई है। पहली पीढ़ी ने तो वाचा की आशीषों को ठुकरा दिया था परन्तु परमेश्वर अपनी वाचा के निमित्त निष्ठावान था। इस्राएल के कुड़कुड़ाने तथा विद्रोह के उपरान्त भी परमेश्वर उन्हें आशीष देता है और दूसरी पीढ़ी के लिए प्रतिज्ञा के देश की अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करता है। मूल विषय यात्रा रूपरेखा 1. प्रतिज्ञा के देश के लिए कूच करने की तैयारी — 1:1-10:10 2. सीनै से कादेश की यात्रा — 10:11-12:16 3. विद्रोह के कारण विलम्ब — 13:1-20:13 4. कादेश से मोआब के मैदानों तक यात्रा — 20:14-22:1 5. मोआब में इस्राएल, प्रतिज्ञा के देश पर अधिकार की आशा के साथ — 22:2-32:42 6. विभिन्न विषयों से सम्बंधित परिशिष्ट — 33:1-36:13
17 जिन पुरुषों के नाम ऊपर लिखे हैं उनको साथ लेकर मूसा और हारून ने, 18 दूसरे महीने के पहले दिन सारी मण्डली इकट्ठी की, तब इस्राएलियों ने अपने-अपने कुल और अपने-अपने पितरों के घराने के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु वालों के नामों की गिनती करवाकर अपनी-अपनी वंशावली लिखवाई; 19 जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी उसी के अनुसार उसने सीनै के जंगल में उनकी गणना की।
20 और इस्राएल के पहलौठे रूबेन के वंश[a] के जितने पुरुष अपने कुल और अपने पितरों के घराने के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 21 और रूबेन के गोत्र के गिने हुए पुरुष साढ़े छियालीस हजार थे।
22 शिमोन के वंश के लोग जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे, और जो युद्ध करने के योग्य थे वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए।
23 और शिमोन के गोत्र के गिने हुए पुरुष उनसठ हजार तीन सौ थे। 24 गाद के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 25 और गाद के गोत्र के गिने हुए पुरुष पैंतालीस हजार साढ़े छः सौ थे।
26 यहूदा के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 27 और यहूदा के गोत्र के गिने हुए पुरुष चौहत्तर हजार छः सौ थे।
28 इस्साकार के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 29 और इस्साकार के गोत्र के गिने हुए पुरुष चौवन हजार चार सौ थे।
30 जबूलून के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 31 और जबूलून के गोत्र के गिने हुए पुरुष सत्तावन हजार चार सौ थे।
32 यूसुफ के वंश में से एप्रैम के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 33 और एप्रैम गोत्र के गिने हुए पुरुष साढ़े चालीस हजार थे।
34 मनश्शे के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 35 और मनश्शे के गोत्र के गिने हुए पुरुष बत्तीस हजार दो सौ थे।
36 बिन्यामीन के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 37 और बिन्यामीन के गोत्र के गिने हुए पुरुष पैंतीस हजार चार सौ थे।
38 दान के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे अपने-अपने नाम से गिने गए: 39 और दान के गोत्र के गिने हुए पुरुष बासठ हजार सात सौ थे।
40 आशेर के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 41 और आशेर के गोत्र के गिने हुए पुरुष साढ़े इकतालीस हजार थे।
42 नप्ताली के वंश के जितने पुरुष अपने कुलों और अपने पितरों के घरानों के अनुसार बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और जो युद्ध करने के योग्य थे, वे सब अपने-अपने नाम से गिने गए: 43 और नप्ताली के गोत्र के गिने हुए पुरुष तिरपन हजार चार सौ थे।
44 इस प्रकार मूसा और हारून और इस्राएल के बारह प्रधानों ने, जो अपने-अपने पितरों के घराने के प्रधान थे, उन सभी को गिन लिया और उनकी गिनती यही थी। 45 अतः जितने इस्राएली बीस वर्ष या उससे अधिक आयु के होने के कारण युद्ध करने के योग्य थे वे अपने पितरों के घरानों के अनुसार गिने गए, 46 और वे सब गिने हुए पुरुष मिलाकर छः लाख तीन हजार साढ़े पाँच सौ थे।