5 सब राज्यों के लोग तो अपने-अपने देवता का नाम लेकर चलते हैं, परन्तु हम लोग अपने परमेश्वर यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।
6 यहोवा की यह वाणी है, उस समय मैं प्रजा के लँगड़ों को, और जबरन निकाले हुओं को, और जिनको मैंने दुःख दिया है उन सब को इकट्ठे करूँगा। 7 और लँगड़ों को मैं बचा रखूँगा, और दूर किए हुओं को एक सामर्थी जाति कर दूँगा; और यहोवा उन पर सिय्योन पर्वत के ऊपर से सदा राज्य करता रहेगा।
8 और हे एदेर के गुम्मट, हे सिय्योन की पहाड़ी, पहली प्रभुता अर्थात् यरूशलेम का राज्य तुझे मिलेगा।
9 अब तू क्यों चिल्लाती है? क्या तुझ में कोई राजा नहीं रहा? क्या तेरा युक्ति करनेवाला नष्ट हो गया, जिससे जच्चा स्त्री के समान तुझे पीड़ा उठती है? (यिर्म. 8:19, यशा. 13:8) 10 हे सिय्योन की बेटी, जच्चा स्त्री के समान पीड़ा उठाकर उत्पन्न कर; क्योंकि अब तू गढ़ी में से निकलकर मैदान में बसेगी, वरन् बाबेल तक जाएगी; वहीं तू छुड़ाई जाएगी, अर्थात् वहीं यहोवा तुझे तेरे शत्रुओं के वश में से छुड़ा लेगा।
11 अब बहुत सी जातियाँ तेरे विरुद्ध इकट्ठी होकर तेरे विषय में कहेंगी, “सिय्योन अपवित्र की जाए, और हम अपनी आँखों से उसको निहारें।” 12 परन्तु वे यहोवा की कल्पनाएँ नहीं जानते†वे यहोवा की कल्पनाएँ नहीं जानते: परमेश्वर की इच्छा थी कि उसके लोग दण्ड पाएँ परन्तु भविष्य की भलाई से वे अनभिज्ञ थे (जो उनके मन फिराव पर आधारित थी) कि परमेश्वर उन्हें क्षमा करना चाहता था परन्तु उनके घमण्ड का दण्ड भी देना चाहता था। , न उसकी युक्ति समझते हैं, कि वह उन्हें ऐसा बटोर लेगा जैसे खलिहान में पूले बटोरे जाते हैं। 13 हे सिय्योन, उठ और दाँवनी कर, मैं तेरे सींगों को लोहे के, और तेरे खुरों को पीतल के बना दूँगा; और तू बहुत सी जातियों को चूर-चूर करेगी, ओर उनकी कमाई यहोवा को और उनकी धन-सम्पत्ति पृथ्वी के प्रभु के लिये अर्पण करेगी।
<- मीका 3मीका 5 ->- a वह बहुत देशों के लोगों का न्याय करेगा: हर एक ने अपना मार्ग लिया था, अब वे परमेश्वर के विधियों की शिक्षा लेने आएँगे।
- b वे यहोवा की कल्पनाएँ नहीं जानते: परमेश्वर की इच्छा थी कि उसके लोग दण्ड पाएँ परन्तु भविष्य की भलाई से वे अनभिज्ञ थे (जो उनके मन फिराव पर आधारित थी) कि परमेश्वर उन्हें क्षमा करना चाहता था परन्तु उनके घमण्ड का दण्ड भी देना चाहता था।