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4
शैतान द्वारा यीशु मसीह की परीक्षा
1 तब उस समय पवित्र आत्मा यीशु को एकांत में ले गया ताकि शैतान से उसकी परीक्षा हो*यीशु की परीक्षा लेने में शैतान की मंशा थी कि मसीह को विवश करके उससे पाप करवाए जिससे की वह उद्धारकर्ता के रूप में अयोग्‍य ठहरे और मनुष्य की मुक्ति, परमेश्वर की योजना में नाकाम हो जाए। 2 वह चालीस दिन, और चालीस रात, निराहार रहा, तब उसे भूख लगी। (निर्ग. 34:28) 3 तब परखनेवाले ने पास आकर उससे कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो कह दे, कि ये पत्थर रोटियाँ बन जाएँ।” 4 यीशु ने उत्तर दिया, “लिखा है,
‘मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं,
परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।’ ”

5 तब शैतान उसे पवित्र नगर में ले गया और मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया। (लूका 4:9) 6 और उससे कहा, “यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आपको नीचे गिरा दे; क्योंकि लिखा है, ‘वह तेरे विषय में अपने स्वर्गदूतों को आज्ञा देगा, और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे; कहीं ऐसा न हो कि तेरे पाँवों में पत्थर से ठेस लगेशैतान भी बाइबल का उदाहरण देता है, लेकिन गलत ढंग से जिसमें वह बाइबल अंश (इस सन्दर्भ में, भजन 91:11-12) छोड़ दिया क्योंकि वह यहाँ उपयुक्त नहीं था।।’ ” (भज. 91:11,12) 7 यीशु ने उससे कहा, “यह भी लिखा है, ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न कर।’ ”(व्यव. 6:16)

8 फिर शैतान उसे एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर ले गया और सारे जगत के राज्य और उसका वैभव दिखाकर 9 उससे कहा, “यदि तू गिरकर मुझे प्रणाम करे, तो मैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगामैं यह सब कुछ तुझे दे दूँगा: शैतान, इस जगत का राजकुमार, अधिकार रखता था कि यीशु के सामने यह प्रस्ताव रखे। (यूह 12: 31) ।” 10 तब यीशु ने उससे कहा, “हे शैतान दूर हो जा, क्योंकि लिखा है: ‘तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर, और केवल उसी की उपासना कर।’ ”(व्यव. 6:13)

11 तब शैतान उसके पास से चला गया, और स्वर्गदूत आकर उसकी सेवा करने लगे।

यीशु के उपदेश का आरम्भ
12 जब उसने यह सुना कि यूहन्ना पकड़वा दिया गया, तो वह गलील को चला गया। 13 और नासरत को छोड़कर कफरनहूम में जो झील के किनारे जबूलून और नप्ताली के क्षेत्र में है जाकर रहने लगा। 14 ताकि जो यशायाह भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो।
15 “जबूलून और नप्ताली के क्षेत्र,
झील के मार्ग से यरदन के पास अन्यजातियों का गलील-
16 जो लोग अंधकार में बैठे थे उन्होंने बड़ी ज्योति देखी;
और जो मृत्यु के क्षेत्र और छाया में बैठे थे, उन पर ज्योति चमकी।”

17 उस समय से यीशु ने प्रचार करना और यह कहना आरम्भ किया, “मन फिराओ क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट आया है।”

प्रथम चेलों का बुलाया जाना
18 उसने गलील की झील के किनारे फिरते हुए दो भाइयों अर्थात् शमौन को जो पतरस कहलाता है, और उसके भाई अन्द्रियास को झील में जाल डालते देखा; क्योंकि वे मछुए थे। 19 और उनसे कहा, “मेरे पीछे चले आओ, तो मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा।” 20 वे तुरन्त जालों को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।

21 और वहाँ से आगे बढ़कर, उसने और दो भाइयों अर्थात् जब्दी के पुत्र§जब्दी के पुत्र: यह यूहन्ना का भाई प्रेरित याकूब है, जो हेरोदेस अग्रिप्पा के हाथों शहीद हो गया था, (प्रेरि 12:2) याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा; और उन्हें भी बुलाया। 22 वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए।

गलील में रोगियों को चंगा करना
23 और यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उनके आराधनालयों में उपदेश करता, और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा। 24 और सारे सीरिया देश में उसका यश फैल गया; और लोग सब बीमारों को, जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों और दुःखों में जकड़े हुए थे, और जिनमें दुष्टात्माएँ थीं और मिर्गीवालों और लकवे के रोगियों को उसके पास लाए और उसने उन्हें चंगा किया। 25 और गलील, दिकापुलिस*दिकापुलिस: गलील सागर के दक्षिण में दस शहरों का एक जिला था।, यरूशलेम, यहूदिया और यरदन के पार से भीड़ की भीड़ उसके पीछे हो ली।

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