4 यह यूहन्ना ऊँट के रोम का वस्त्र पहने था, और अपनी कमर में चमड़े का कमरबन्द बाँधे हुए था, और उसका भोजन टिड्डियाँ और वनमधु था। (2 राजा. 1:8) 5 तब यरूशलेम के और सारे यहूदिया के, और यरदन के आस-पास के सारे क्षेत्र के लोग उसके पास निकल आए। 6 और अपने-अपने पापों को मानकर यरदन नदी में उससे बपतिस्मा लिया।
7 जब उसने बहुत से फरीसियों†फरीसियों: यीशु के दिनों में सबसे प्रभावशाली यहूदी सम्प्रदाय। मूसा की व्यवस्था यानी रूढ़िवादी दृष्टिकोण अर्थात् मूसा की व्यवस्था का कठोरता से पालन करनेवाले फरीसी। और सदूकियों‡सदूकियों: यह भी पुरोहितों और उच्च वर्ग से सम्बंधित एक यहूदी के संप्रदाय था। यीशु के दिनों में वे आत्मिक संसार में विश्वास नहीं करते थे। को बपतिस्मा के लिये अपने पास आते देखा, तो उनसे कहा, “हे साँप के बच्चों, तुम्हें किसने चेतावनी दी कि आनेवाले क्रोध से भागो? 8 मन फिराव के योग्य फल लाओ; 9 और अपने-अपने मन में यह न सोचो, कि हमारा पिता अब्राहम है; क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, कि परमेश्वर इन पत्थरों से अब्राहम के लिये सन्तान उत्पन्न कर सकता है। 10 और अब कुल्हाड़ा पेड़ों की जड़ पर रखा हुआ है, इसलिए जो-जो पेड़ अच्छा फल नहीं लाता, वह काटा और आग में झोंका जाता है।
11 “मैं तो पानी से तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु जो मेरे बाद आनेवाला है, वह मुझसे शक्तिशाली है; मैं उसकी जूती उठाने के योग्य नहीं, वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा। 12 उसका सूप उसके हाथ में है, और वह अपना खलिहान अच्छी रीति से साफ करेगा, और अपने गेहूँ को तो खत्ते में इकट्ठा करेगा, परन्तु भूसी को उस आग में जलाएगा जो बुझने की नहीं।”
- a यहूदिया के जंगल: मृत सागर के पश्चिमी तट तक एक विस्तृत अनुपजाऊ, बंजर भूमि।
- b फरीसियों: यीशु के दिनों में सबसे प्रभावशाली यहूदी सम्प्रदाय। मूसा की व्यवस्था यानी रूढ़िवादी दृष्टिकोण अर्थात् मूसा की व्यवस्था का कठोरता से पालन करनेवाले फरीसी।
- c सदूकियों: यह भी पुरोहितों और उच्च वर्ग से सम्बंधित एक यहूदी के संप्रदाय था। यीशु के दिनों में वे आत्मिक संसार में विश्वास नहीं करते थे।
- d त्रिएक परमेश्वर की अवधारणा की प्रथम और स्पष्ट अभिव्यक्ति है।