10 जब अय्यूब ने अपने मित्रों के लिये प्रार्थना की, तब यहोवा ने उसका सारा दुःख दूर किया, और जितना अय्यूब का पहले था, उसका दुगना यहोवा ने उसे दे दिया। 11 तब उसके सब भाई, और सब बहनें, और जितने पहले उसको जानते-पहचानते थे, उन सभी ने आकर उसके यहाँ उसके संग भोजन किया; और जितनी विपत्ति यहोवा ने उस पर डाली थी, उन सब के विषय उन्होंने विलाप किया, और उसे शान्ति दी; और उसे एक-एक चाँदी का सिक्का और सोने की एक-एक बाली दी। 12 और यहोवा ने अय्यूब के बाद के दिनों में उसको पहले के दिनों से अधिक आशीष दी‡यहोवा ने अय्यूब के बाद के दिनों में उसको पहले के दिनों से अधिक आशीष दी: उस पर आनेवाली विपत्तियों के पूर्व के दिनों से दो गुणा आशीषें।; और उसके चौदह हजार भेड़-बकरियाँ, छः हजार ऊँट, हजार जोड़ी बैल, और हजार गदहियाँ हो गईं। 13 और उसके सात बेटे और तीन बेटियाँ भी उत्पन्न हुईं। 14 इनमें से उसने जेठी बेटी का नाम तो यमीमा, दूसरी का कसीआ और तीसरी का केरेन्हप्पूक रखा। 15 और उस सारे देश में ऐसी स्त्रियाँ कहीं न थीं, जो अय्यूब की बेटियों के समान सुन्दर हों, और उनके पिता ने उनको उनके भाइयों के संग ही सम्पत्ति दी। 16 इसके बाद अय्यूब एक सौ चालीस वर्ष जीवित रहा, और चार पीढ़ी तक अपना वंश देखने पाया। 17 अन्त में अय्यूब वृद्धावस्था में दीर्घायु होकर मर गया।
<- अय्यूब 41- a मैं जानता हूँ कि तू सब कुछ कर सकता है: यह परमेश्वर के सर्वशक्तिमान होने का स्वीकरण है और मनुष्य को उसकी अधीनता में रहना है, उसकी असीम शक्ति के अधीन।
- b मुझे अपने ऊपर घृणा आती है: मुझे बोध हो गया कि मैं एक घृणित एवं तुच्छ पापी हूँ। यद्यपि अय्यूब ने सिद्ध होने का दावा नहीं किया परन्तु वह अपनी धार्मिकता के विचार से अनावश्यक बड़प्पन दिखा रहा था।
- c यहोवा ने अय्यूब के बाद के दिनों में उसको पहले के दिनों से अधिक आशीष दी: उस पर आनेवाली विपत्तियों के पूर्व के दिनों से दो गुणा आशीषें।