4 तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा, 5 “इस्राएल का परमेश्वर यहोवा यह कहता है, जैसे अच्छे अंजीरों को, वैसे ही मैं यहूदी बन्दियों को जिन्हें मैंने इस स्थान से कसदियों के देश में भेज दिया है, देखकर प्रसन्न होऊँगा। 6 मैं उन पर कृपादृष्टि रखूँगा और उनको इस देश में लौटा ले आऊँगा; और उन्हें नाश न करूँगा, परन्तु बनाऊँगा; उन्हें उखाड़ न डालूँगा, परन्तु लगाए रखूँगा। 7 मैं उनका ऐसा मन कर दूँगा कि वे मुझे जानेंगे कि मैं यहोवा हूँ; और वे मेरी प्रजा ठहरेंगे और मैं उनका परमेश्वर ठहरूँगा, क्योंकि वे मेरी ओर सारे मन से फिरेंगे।
8 “परन्तु जैसे निकम्मे अंजीर, निकम्मे होने के कारण खाए नहीं जाते, उसी प्रकार से मैं यहूदा के राजा सिदकिय्याह और उसके हाकिमों और बचे हुए यरूशलेमियों को, जो इस देश में या मिस्र में रह गए हैं[b], छोड़ दूँगा। 9 इस कारण वे पृथ्वी के राज्य-राज्य में मारे-मारे फिरते हुए दुःख भोगते रहेंगे; और जितने स्थानों में मैं उन्हें जबरन निकाल दूँगा, उन सभी में वे नामधराई और दृष्टांत और श्राप का विषय होंगे। 10 और मैं उनमें तलवार चलाऊँगा, और अकाल और मरी फैलाऊँगा, और अन्त में इस देश में से जिसे मैंने उनके पुरखाओं को और उनको दिया, वे मिट जाएँगे।”
<- यिर्मयाह 23यिर्मयाह 25 ->- a अंजीर: अंजीर का वृक्ष तीन फसल देता है जिनमें से प्रथम फसल सबसे अधिक स्वादिष्ट मानी जाती है।
- b इस देश में या मिस्र में रह गए हैं: न तो वे जो यहोआहाज के साथ बन्दी बनकर मिस्र में ले जाये गये हैं और न जो भागकर मिस्र गये हैं आशीषों में सहभागी होंगे। यहूदी राष्ट्र का नया जीवन केवल बाबेल में रहनेवाले निर्वासितों का काम होगा।