7 यहूदा के कुल का एक जवान लेवीय यहूदा के बैतलहम में परदेशी होकर रहता था। 8 वह यहूदा के बैतलहम नगर से इसलिए निकला, कि जहाँ कहीं स्थान मिले वहाँ जा रहे। चलते-चलते वह एप्रैम के पहाड़ी देश में मीका के घर पर आ निकला। 9 मीका ने उससे पूछा, “तू कहाँ से आता है?” उसने कहा, “मैं तो यहूदा के बैतलहम से आया हुआ एक लेवीय हूँ, और इसलिए चला जाता हूँ, कि जहाँ कहीं ठिकाना मुझे मिले वहीं रहूँ।” 10 मीका ने उससे कहा, “मेरे संग रहकर मेरे लिये पिता और पुरोहित बन, और मैं तुझे प्रतिवर्ष दस टुकड़े रूपे, और एक जोड़ा कपड़ा, और भोजनवस्तु दिया करूँगा,” तब वह लेवीय भीतर गया। 11 और वह लेवीय उस पुरुष के संग रहने से प्रसन्न हुआ; और वह जवान उसके साथ बेटा सा बना रहा। 12 तब मीका ने उस लेवीय का संस्कार किया, और वह जवान उसका पुरोहित होकर मीका के घर में रहने लगा। 13 और मीका सोचता था, कि अब मैं जानता हूँ कि यहोवा मेरा भला करेगा, क्योंकि मैंने एक लेवीय को अपना पुरोहित रखा है*एक लेवीय को अपना पुरोहित रखा है: इससे उस युग का अज्ञान और अंधविश्वास प्रगट होता है और समय की निरंकुशता का चित्रण प्रस्तुत करता है। यहाँ लेवीय पुरोहिताई की अपूर्वचिन्तित गवाही है परन्तु शीलो के परिवेश में मूर्तिपूजा हो रही थी। ।
<- न्यायियों 16न्यायियों 18 ->- a एक लेवीय को अपना पुरोहित रखा है: इससे उस युग का अज्ञान और अंधविश्वास प्रगट होता है और समय की निरंकुशता का चित्रण प्रस्तुत करता है। यहाँ लेवीय पुरोहिताई की अपूर्वचिन्तित गवाही है परन्तु शीलो के परिवेश में मूर्तिपूजा हो रही थी।