8 तो भी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो मिट्टी है, और तू हमारा कुम्हार है; हम सब के सब तेरे हाथ के काम हैं†हम सब के सब तेरे हाथ के काम हैं: जैसे मिट्टी का पात्र कुम्हार के हाथ का काम होता है। हम तेरे द्वारा बनाये गये हैं और तुम ही पर निर्भर हैं कि तू हमें जैसा चाहे वैसा बनाये। । (भज. 100:3, गला. 3:26) 9 इसलिए हे यहोवा, अत्यन्त क्रोधित न हो, और अनन्तकाल तक हमारे अधर्म को स्मरण न रख। विचार करके देख, हम तेरी विनती करते हैं, हम सब तेरी प्रजा हैं। 10 देख, तेरे पवित्र नगर जंगल हो गए, सिय्योन सुनसान हो गया है, यरूशलेम उजड़ गया है। 11 हमारा पवित्र और शोभायमान मन्दिर, जिसमें हमारे पूर्वज तेरी स्तुति करते थे, आग से जलाया गया, और हमारी मनभावनी वस्तुएँ सब नष्ट हो गई हैं। 12 हे यहोवा, क्या इन बातों के होते हुए भी तू अपने को रोके रहेगा? क्या तू हम लोगों को इस अत्यन्त दुर्दशा में रहने देगा?
<- यशायाह 63यशायाह 65 ->- a हम तो सब के सब अशुद्ध मनुष्य के से हैं: यहाँ भावार्थ है कि जैसा लैव्यव्यवस्था में अशुद्ध होना कहा गया है वैसे अशुद्ध एवं दूषित। कहने का अर्थ है कि वे स्वयं को पूर्णतः अशुद्ध एवं पतित मानते हैं।
- b हम सब के सब तेरे हाथ के काम हैं: जैसे मिट्टी का पात्र कुम्हार के हाथ का काम होता है। हम तेरे द्वारा बनाये गये हैं और तुम ही पर निर्भर हैं कि तू हमें जैसा चाहे वैसा बनाये।