2 तेरा पहरावा क्यों लाल है? और क्या कारण है कि तेरे वस्त्र हौद में दाख रौंदनेवाले के समान हैं?
3 “मैंने तो अकेले ही हौद में दाखें रौंदी हैं*मैंने तो अकेले ही हौद में दाखें रौंदी हैं: मैं, यहोवा निश्चय ही अपने क्रोध के दाख रौंदता हूँ और मैं अकेला ही ऐसा करता हूँ। यहाँ निहितार्थ है कि उसने बैरियों को पूर्णतः नष्ट कर दिया है। , और देश के लोगों में से किसी ने मेरा साथ नहीं दिया; हाँ, मैंने अपने क्रोध में आकर उन्हें रौंदा और जलकर उन्हें लताड़ा; उनके लहू के छींटे मेरे वस्त्रों पर पड़े हैं, इससे मेरा सारा पहरावा धब्बेदार हो गया है। (प्रका. 19:15, प्रका. 14:20) 4 क्योंकि बदला लेने का दिन मेरे मन में था, और मेरी छुड़ाई हुई प्रजा का वर्ष आ पहुँचा है। 5 मैंने खोजा, पर कोई सहायक न दिखाई पड़ा; मैंने इससे अचम्भा भी किया कि कोई सम्भालनेवाला नहीं था; तब मैंने अपने ही भुजबल से उद्धार किया, और मेरी जलजलाहट ही ने मुझे सम्भाला। 6 हाँ, मैंने अपने क्रोध में आकर देश-देश के लोगों को लताड़ा, अपनी जलजलाहट से मैंने उन्हें मतवाला कर दिया, और उनके लहू को भूमि पर बहा दिया।”
10 तो भी उन्होंने बलवा किया और उसके पवित्र आत्मा को खेदित किया; इस कारण वह पलटकर उनका शत्रु हो गया, और स्वयं उनसे लड़ने लगा। (प्रेरि. 7:51, इफि. 4:30) 11 तब उसके लोगों को उनके प्राचीन दिन अर्थात् मूसा के दिन स्मरण आए, वे कहने लगे कि जो अपनी भेड़ों को उनके चरवाहे समेत समुद्र में से निकाल लाया वह कहाँ है? जिसने उनके बीच अपना पवित्र आत्मा डाला, वह कहाँ है? 12 जिसने अपने प्रतापी भुजबल को मूसा के दाहिने हाथ के साथ कर दिया, जिसने उनके सामने जल को दो भाग करके अपना सदा का नाम कर लिया, 13 जो उनको गहरे समुद्र में से ले चला; जैसा घोड़े को जंगल में वैसे ही उनको भी ठोकर न लगी, वह कहाँ है? 14 जैसे घरेलू पशु तराई में उतर जाता है, वैसे ही यहोवा के आत्मा ने उनको विश्राम दिया। इसी प्रकार से तूने अपनी प्रजा की अगुआई की ताकि अपना नाम महिमायुक्त बनाए।
- a मैंने तो अकेले ही हौद में दाखें रौंदी हैं: मैं, यहोवा निश्चय ही अपने क्रोध के दाख रौंदता हूँ और मैं अकेला ही ऐसा करता हूँ। यहाँ निहितार्थ है कि उसने बैरियों को पूर्णतः नष्ट कर दिया है।
- b स्वर्ग से, .... दृष्टि कर: यह एक हार्दिक विनती का आरम्भ है कि परमेश्वर उनकी वर्तमान आपदाओं और उनके कष्टों में उन पर दया करे। वे उससे निवेदन करते हैं, कि वह अपनी पूर्वकालिक दया को स्मरण करके लौट आए और उन्हें आशीषित करे।