6 “जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है†जब तक वह निकट है: इसका महत्त्वपूर्ण अर्थ है कि परमेश्वर हर समय हमारे निकट ही रहता है और दर्शाता है कि कुछ समय अन्य समय की तुलना में ऐसे होते हैं जब उसको खोजना अधिक अनुकूल परिस्थिति में हो जाता है। तब तक उसे पुकारो; (प्रेरि. 17:27) 7 दुष्ट अपनी चाल चलन और अनर्थकारी अपने सोच-विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा। 8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। (रोम. 11:33) 9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
10 “जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहाँ ऐसे ही लौट नहीं जाते, वरन् भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोनेवाले को बीज और खानेवाले को रोटी मिलती है, (2 कुरि. 9:10) 11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा‡जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा: मेरी इच्छा पूरी किए बिना वह लौटेगा नहीं। , और जिस काम के लिये मैंने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
12 “क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुँचाए जाओगे; तुम्हारे आगे-आगे पहाड़ और पहाड़ियाँ गला खोलकर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएँगे। 13 तब भटकटैयों के बदले सनोवर उगेंगे; और बिच्छू पेड़ों के बदले मेंहदी उगेगी; और इससे यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।”
<- यशायाह 54यशायाह 56 ->- a बिन रुपये और बिना दाम: ऐसा कोई भी गरीब नहीं होगा कि खरीद न सके, और कोई ऐसा धनवान भी नहीं होगा कि सोने से खरीदे। अगर गरीब या उसे धनवान प्राप्त करे तो वह बिना पैसे या मोल लिए होगा।
- b जब तक वह निकट है: इसका महत्त्वपूर्ण अर्थ है कि परमेश्वर हर समय हमारे निकट ही रहता है और दर्शाता है कि कुछ समय अन्य समय की तुलना में ऐसे होते हैं जब उसको खोजना अधिक अनुकूल परिस्थिति में हो जाता है।
- c जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा: मेरी इच्छा पूरी किए बिना वह लौटेगा नहीं।