5 जब हिजकिय्याह राजा के कर्मचारी यशायाह के पास आए। 6 तब यशायाह ने उनसे कहा, “अपने स्वामी से कहो, ‘यहोवा यह कहता है कि जो वचन तूने सुने हैं जिनके द्वारा अश्शूर के राजा के जनों ने मेरी निन्दा की है, उनके कारण मत डर। 7 सुन, मैं उसके मन में प्रेरणा उत्पन्न करूँगा जिससे वह कुछ समाचार सुनकर अपने देश को लौट जाए; और मैं उसको उसी देश में तलवार से मरवा डालूँगा।’ ”
23 “ ‘तूने किसकी नामधराई और निन्दा की है? और तू जो बड़ा बोल बोला और घमण्ड किया है, वह किसके विरुद्ध किया है? इस्राएल के पवित्र के विरुद्ध! 24 अपने कर्मचारियों के द्वारा तूने प्रभु की निन्दा करके कहा है कि बहुत से रथ लेकर मैं पर्वतों की चोटियों पर वरन् लबानोन के बीच तक चढ़ आया हूँ; मैं उसके ऊँचे-ऊँचे देवदारों और अच्छे-अच्छे सनोवर वृक्षों को काट डालूँगा और उसके दूर-दूर के ऊँचे स्थानों में और उसके वन की फलदाई बारियों में प्रवेश करूँगा। 25 मैंने खुदवाकर पानी पिया और मिस्र की नहरों में पाँव धरते ही उन्हें सूखा दिया। 26 क्या तूने नहीं सुना कि प्राचीनकाल से मैंने यही ठाना और पूर्वकाल से इसकी तैयारी की थी? इसलिए अब मैंने यह पूरा भी किया है†मैंने यह पूरा भी किया है: तुम गर्व से कहते हो कि यह सब तुम्हारी सम्मति एवं सामर्थ्य से है। परन्तु मैंने यह किया है अर्थात् मैंने बहुत पहले से ही इसका विचार किया, इसकी योजना बनाई और इसका प्रबन्ध किया था। कि तू गढ़वाले नगरों को खण्डहर ही खण्डहर कर दे। 27 इसी कारण उनके रहनेवालों का बल घट गया और वे विस्मित और लज्जित हुए: वे मैदान के छोटे-छोटे पेड़ों और हरी घास और छत पर की घास और ऐसे अनाज के समान हो गए जो बढ़ने से पहले ही सूख जाता है।
28 “ ‘मैं तो तेरा बैठना, कूच करना और लौट आना जानता हूँ; और यह भी कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता है। 29 इस कारण कि तू मुझ पर अपना क्रोध भड़काता और तेरे अभिमान की बातें मेरे कानों में पड़ी हैं, मैं तेरी नाक में नकेल डालकर और तेरे मुँह में अपनी लगाम लगाकर जिस मार्ग से तू आया है उसी मार्ग से तुझे लौटा दूँगा।’
30 “और तेरे लिये यह चिन्ह होगा कि इस वर्ष तो तुम उसे खाओगे जो आप से आप उगें, और दूसरे वर्ष वह जो उससे उत्पन्न हो, और तीसरे वर्ष बीज बोकर उसे लवने पाओगे और दाख की बारियाँ लगाने और उनका फल खाने पाओगे। 31 और यहूदा के घराने के बचे हुए लोग फिर जड़ पकड़ेंगे और फूलें-फलेंगे; 32 क्योंकि यरूशलेम से बचे हुए और सिय्योन पर्वत से भागे हुए लोग निकलेंगे। सेनाओं का यहोवा अपनी जलन के कारण यह काम करेगा।
33 “इसलिए यहोवा अश्शूर के राजा के विषय यह कहता है कि वह इस नगर में प्रवेश करने, वरन् इस पर एक तीर भी मारने न पाएगा; और न वह ढाल लेकर इसके सामने आने या इसके विरुद्ध दमदमा बाँधने पाएगा। 34 जिस मार्ग से वह आया है उसी से वह लौट भी जाएगा और इस नगर में प्रवेश न करने पाएगा, यहोवा की यही वाणी है। 35 क्योंकि मैं अपने निमित्त और अपने दास दाऊद के निमित्त, इस नगर की रक्षा करके उसे बचाऊँगा‡इस नगर की रक्षा करके उसे बचाऊँगा: हिजकिय्याह ने उस नगर की सुरक्षा के लिए जो कुछ भी किया था उसके उपरान्त भी यहोवा ही है जो उसको सुरक्षित रख सकता है। ।”
- a जीविते परमेश्वर की निन्दा करने को भेजा: जीवित परमेश्वर मूर्तियों से तुलना करने से घृणा करता है। मूर्तियाँ तो मात्र लकड़ी या पत्थर के टुकड़े होती थीं।
- b मैंने यह पूरा भी किया है: तुम गर्व से कहते हो कि यह सब तुम्हारी सम्मति एवं सामर्थ्य से है। परन्तु मैंने यह किया है अर्थात् मैंने बहुत पहले से ही इसका विचार किया, इसकी योजना बनाई और इसका प्रबन्ध किया था।
- c इस नगर की रक्षा करके उसे बचाऊँगा: हिजकिय्याह ने उस नगर की सुरक्षा के लिए जो कुछ भी किया था उसके उपरान्त भी यहोवा ही है जो उसको सुरक्षित रख सकता है।