6 तूने अपनी प्रजा याकूब के घराने को त्याग दिया है, क्योंकि वे पूर्वजों के व्यवहार पर तन मन से चलते और पलिश्तियों के समान टोना करते हैं, और परदेशियों के साथ हाथ मिलाते हैं। 7 उनका देश चाँदी और सोने से भरपूर है†उनका देश चाँदी और सोने से भरपूर है: सुलैमान ने विदेशों से बहुत सोना-चाँदी आयात किया था। सोना-चाँदी एकत्र करना मूसा की व्यवस्था में वर्जित था। (व्यव. 17:17) , और उनके रखे हुए धन की सीमा नहीं; उनका देश घोड़ों से भरपूर है, और उनके रथ अनगिनत हैं। 8 उनका देश मूरतों से भरा है; वे अपने हाथों की बनाई हुई वस्तुओं को जिन्हें उन्होंने अपनी उँगलियों से संवारा है, दण्डवत् करते हैं। 9 इससे मनुष्य झुकते, और बड़े मनुष्य नीचे किए गए है, इस कारण उनको क्षमा न कर! 10 यहोवा के भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टान में घुस जा, और मिट्टी में छिप जा। (प्रका. 6:15, लूका 23:30) 11 क्योंकि आदमियों की घमण्ड भरी आँखें नीची की जाएँगी और मनुष्यों का घमण्ड दूर किया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊँचे पर विराजमान रहेगा। (2 थिस्स. 1:9)
12 क्योंकि सेनाओं के यहोवा का दिन सब घमण्डियों और ऊँची गर्दनवालों पर और उन्नति से फूलनेवालों पर आएगा; और वे झुकाए जाएँगे; 13 और लबानोन के सब देवदारों पर जो ऊँचे और बड़े हैं; 14 बाशान के सब बांजवृक्षों पर; और सब ऊँचे पहाड़ों और सब ऊँची पहाड़ियों पर; 15 सब ऊँचे गुम्मटों और सब दृढ़ शहरपनाहों पर; 16 तर्शीश के सब जहाजों और सब सुन्दर चित्रकारी पर वह दिन आता है। 17 मनुष्य का गर्व मिटाया जाएगा, और मनुष्यों का घमण्ड नीचा किया जाएगा; और उस दिन केवल यहोवा ही ऊँचे पर विराजमान रहेगा। 18 मूरतें सब की सब नष्ट हो जाएँगी। 19 जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिये उठेगा, तब उसके भय के कारण और उसके प्रताप के मारे लोग चट्टानों की गुफाओं और भूमि के बिलों में जा घुसेंगे।
20 उस दिन लोग अपनी चाँदी-सोने की मूरतों को जिन्हें उन्होंने दण्डवत् करने के लिये बनाया था, छछून्दरों और चमगादड़ों के आगे फेकेंगे, 21 और जब यहोवा पृथ्वी को कम्पित करने के लिये उठेगा तब वे उसके भय के कारण और उसके प्रताप के मारे चट्टानों की दरारों और पहाड़ियों के छेदों में घुसेंगे। 22 इसलिए तुम मनुष्य से परे रहो जिसकी श्वास उसके नथनों में है‡जिसकी श्वास उसके नथनों में है: अर्थात् जो दुर्बल और लघु आयु है और जिसे अपने आप पर नियंत्रण नहीं। उसका सामर्थ्य तब तक ही है जब तक उसकी श्वास चल रही है।, क्योंकि उसका मूल्य है ही क्या?
<- यशायाह 1यशायाह 3 ->- a आ, हम यहोवा के प्रकाश में चलें: इसका अभिप्रेत अर्थ है, हम यहोवा की आज्ञाओं का पालन करें।
- b उनका देश चाँदी और सोने से भरपूर है: सुलैमान ने विदेशों से बहुत सोना-चाँदी आयात किया था। सोना-चाँदी एकत्र करना मूसा की व्यवस्था में वर्जित था। (व्यव. 17:17)
- c जिसकी श्वास उसके नथनों में है: अर्थात् जो दुर्बल और लघु आयु है और जिसे अपने आप पर नियंत्रण नहीं। उसका सामर्थ्य तब तक ही है जब तक उसकी श्वास चल रही है।