4 मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूँगा*मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूँगा: मैं सेंत-मेंत उनसे प्रेम करूँगा। प्रतिउत्तर में, परमेश्वर उनकी आत्मा के रोग स्वास्थ बनाने की प्रतिज्ञा करता है जहाँ से हर प्रकार की बुराई उत्पन्न होती है उनकी चंचलता और अस्थिरता। ; मैं सेंत-मेंत उनसे प्रेम करूँगा, क्योंकि मेरा क्रोध उन पर से उतर गया है। 5 मैं इस्राएल के लिये ओस के समान होऊँगा; वह सोसन के समान फूले-फलेगा, और लबानोन के समान जड़ फैलाएगा। 6 उसकी जड़ से पौधे फूटकर निकलेंगे; उसकी शोभा जैतून की सी, और उसकी सुगन्ध लबानोन की सी होगी। 7 जो उसकी छाया में बैठेंगे†उसकी छाया में बैठेंगे: अर्थात् पुनः स्थापित इस्राएल की छाया में जिसकी उपमा एक विशाल वृक्ष से की गई है जो पूर्णतः सिद्ध वृक्ष है।, वे अन्न के समान बढ़ेंगे, वे दाखलता के समान फूले-फलेंगे; और उसकी कीर्ति लबानोन के दाखमधु की सी होगी।
8 एप्रैम कहेगा, “मूरतों से अब मेरा और क्या काम?” मैं उसकी सुनकर उस पर दृष्टि बनाए रखूँगा। मैं हरे सनोवर सा हूँ; मुझी से तू फल पाया करेगा।
9 जो बुद्धिमान हो, वही इन बातों को समझेगा; जो प्रवीण हो, वही इन्हें बूझ सकेगा; क्योंकि यहोवा के मार्ग सीधे हैं, और धर्मी उनमें चलते रहेंगे, परन्तु अपराधी उनमें ठोकर खाकर गिरेंगे।
<- होशे 13- a मैं उनकी भटक जाने की आदत को दूर करूँगा: मैं सेंत-मेंत उनसे प्रेम करूँगा। प्रतिउत्तर में, परमेश्वर उनकी आत्मा के रोग स्वास्थ बनाने की प्रतिज्ञा करता है जहाँ से हर प्रकार की बुराई उत्पन्न होती है उनकी चंचलता और अस्थिरता।
- b उसकी छाया में बैठेंगे: अर्थात् पुनः स्थापित इस्राएल की छाया में जिसकी उपमा एक विशाल वृक्ष से की गई है जो पूर्णतः सिद्ध वृक्ष है।