12 हे भाइयों, चौकस रहो, कि तुम में ऐसा बुरा और अविश्वासी मन न हो, जो जीविते परमेश्वर से दूर हटा ले जाए। 13 वरन् जिस दिन तक आज का दिन कहा जाता है, हर दिन एक दूसरे को समझाते रहो, ऐसा न हो, कि तुम में से कोई जन पाप के छल में आकर कठोर हो जाए। 14 क्योंकि हम मसीह के भागीदार हुए हैं‡मसीह के भागीदार हुए हैं: हम आत्मिक रूप से उद्धारकर्ता से मिले हुए हैं। हम उसके साथ एक हो जाते हैं। हम उसकी आत्मा और उसके अंश का भाग ले लेते हैं। , यदि हम अपने प्रथम भरोसे पर अन्त तक दृढ़ता से स्थिर रहें। 15 जैसा कहा जाता है,
16 भला किन लोगों ने सुनकर भी क्रोध दिलाया? क्या उन सब ने नहीं जो मूसा के द्वारा मिस्र से निकले थे? 17 और वह चालीस वर्ष तक किन लोगों से क्रोधित रहा? क्या उन्हीं से नहीं, जिन्होंने पाप किया, और उनके शव जंगल में पड़े रहे? (गिन. 14:29) 18 और उसने किन से शपथ खाई, कि तुम मेरे विश्राम में प्रवेश करने न पाओगे: केवल उनसे जिन्होंने आज्ञा न मानी? (भज. 106:24-26) 19 इस प्रकार हम देखते हैं, कि वे अविश्वास के कारण प्रवेश न कर सके।
<- इब्रानियों 2इब्रानियों 4 ->- a पर जिसने सब कुछ बनाया वह परमेश्वर है: यह स्पष्ट हैं कि हर घर को बनानेवाला कोई न कोई होता हैं, और समान रूप से स्पष्ट है कि परमेश्वर सब कुछ को बनानेवाला हैं।
- b पर मसीह पुत्र के समान परमेश्वर के घर का अधिकारी है: परमेश्वर का पूरा घराना या परिवार के लिए वह एक ही सम्बंध बनाता हैं जो एक परिवार में एक पुत्र और उत्तराधिकारी, घर के लिए करता है।
- c मसीह के भागीदार हुए हैं: हम आत्मिक रूप से उद्धारकर्ता से मिले हुए हैं। हम उसके साथ एक हो जाते हैं। हम उसकी आत्मा और उसके अंश का भाग ले लेते हैं।