13 तब परमेश्वर ने नूह से कहा, “सब प्राणियों के अन्त करने का प्रश्न मेरे सामने आ गया है; क्योंकि उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिए मैं उनको पृथ्वी समेत नाश कर डालूँगा। 14 इसलिए तू गोपेर वृक्ष की लकड़ी का एक जहाज बना ले, उसमें कोठरियाँ बनाना, और भीतर-बाहर उस पर राल लगाना। 15 इस ढंग से तू उसको बनाना: जहाज की लम्बाई तीन सौ हाथ, चौड़ाई पचास हाथ, और ऊँचाई तीस हाथ की हो। 16 जहाज में एक खिड़की बनाना, और उसके एक हाथ ऊपर से उसकी छत बनाना, और जहाज की एक ओर एक द्वार रखना, और जहाज में पहला, दूसरा, तीसरा खण्ड बनाना। 17 और सुन, मैं आप पृथ्वी पर जल-प्रलय करके सब प्राणियों को, जिनमें जीवन का श्वास है, आकाश के नीचे से नाश करने पर हूँ; और सब जो पृथ्वी पर हैं मर जाएँगे। 18 परन्तु तेरे संग मैं वाचा बाँधता हूँ[d]; इसलिए तू अपने पुत्रों, स्त्री, और बहुओं समेत जहाज में प्रवेश करना। 19 और सब जीवित प्राणियों में से, तू एक-एक जाति के दो-दो, अर्थात् एक नर और एक मादा जहाज में ले जाकर, अपने साथ जीवित रखना। 20 एक-एक जाति के पक्षी, और एक-एक जाति के पशु, और एक-एक जाति के भूमि पर रेंगनेवाले, सब में से दो-दो तेरे पास आएँगे, कि तू उनको जीवित रखे। 21 और भाँति-भाँति का भोजन पदार्थ जो खाया जाता है, उनको तू लेकर अपने पास इकट्ठा कर रखना; जो तेरे और उनके भोजन के लिये होगा।” 22 परमेश्वर की इस आज्ञा के अनुसार नूह ने किया।
<- उत्पत्ति 5उत्पत्ति 7 ->- a मैं मनुष्य को जिसकी मैंने सृष्टि की है पृथ्वी के ऊपर से मिटा दूँगा: यह वर्तमान मनुष्यजाति को मिटा देने का निर्णय था।
- b नूह: यहाँ नूह का चित्रण “धर्मी” और “खरे” पुरुष के रूप में किया है। यह स्मरण रखें कि पहले ही से उस पर परमेश्वर के अनुग्रह की दृष्टि बनी थी।
- c पृथ्वी परमेश्वर की दृष्टि में बिगड़ गई: नूह के विपरीत, बाकी सब मानवजाति भ्रष्ट थी–पाप से पूरी तरह से विकृत। “वह उपद्रव से भर गई थी”।
- d तेरे संग मैं वाचा बाँधता हूँ: बाइबल में यहाँ परमेश्वर और मनुष्य के बीच वाचा का पहली बार ज़िक्र आता है। वाचा दो लोगों के बीच एक गम्भीर प्रतिज्ञा है, जिसमें प्रत्येक अपने-अपने भाग को करने के लिए वचनबद्ध है।
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