16 इस बात का समाचार कि यूसुफ के भाई आए हैं, फ़िरौन के भवन तक पहुँच गया, और इससे फ़िरौन और उसके कर्मचारी प्रसन्न हुए। (प्रेरि. 7:13) 17 इसलिए फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “अपने भाइयों से कह कि एक काम करो: अपने पशुओं को लादकर कनान देश में चले जाओ। 18 और अपने पिता और अपने-अपने घर के लोगों को लेकर मेरे पास आओ; और मिस्र देश में जो कुछ अच्छे से अच्छा है वह मैं तुम्हें दूँगा, और तुम्हें देश के उत्तम से उत्तम पदार्थ खाने को मिलेंगे। (प्रेरि. 7:14) 19 और तुझे आज्ञा मिली है, ‘तुम एक काम करो कि मिस्र देश से अपने बाल-बच्चों और स्त्रियों के लिये गाड़ियाँ ले जाओ, और अपने पिता को ले आओ। (प्रेरि. 7:14) 20 और अपनी सामग्री की चिन्ता न करना; क्योंकि सारे मिस्र देश में जो कुछ अच्छे से अच्छा है वह तुम्हारा है।’ ”
21 इस्राएल के पुत्रों ने वैसा ही किया; और यूसुफ ने फ़िरौन की आज्ञा के अनुसार उन्हें गाड़ियाँ दीं, और मार्ग के लिये भोजन-सामग्री भी दी। 22 उनमें से एक-एक जन को तो उसने एक-एक जोड़ा वस्त्र भी दिया; और बिन्यामीन को तीन सौ रूपे के टुकड़े और पाँच जोड़े वस्त्र दिए। 23 अपने पिता के पास उसने जो भेजा वह यह है, अर्थात् मिस्र की अच्छी वस्तुओं से लदे हुए दस गदहे, और अन्न और रोटी और उसके पिता के मार्ग के लिये भोजनवस्तु से लदी हुई दस गदहियाँ। 24 तब उसने अपने भाइयों को विदा किया, और वे चल दिए; और उसने उनसे कहा, “मार्ग में कहीं झगड़ा न करना।” 25 मिस्र से चलकर वे कनान देश में अपने पिता याकूब के पास पहुँचे। 26 और उससे यह वर्णन किया, “यूसुफ अब तक जीवित है, और सारे मिस्र देश पर प्रभुता वही करता है।” पर उसने उन पर विश्वास न किया, और वह अपने आपे में न रहा‡उसने उन पर विश्वास न किया, और वह अपने आपे में न रहा: यह समाचार उसके लिए इतना अच्छा था कि वह उस पर तुरन्त विश्वास नहीं कर सका। परन्तु यूसुफ द्वारा कही बातों को, जिन्हें उन्होंने उसे बताया, और उन गाड़ियों को देखकर जो उसने भेजी थीं, उसे आखिरकार निश्चय हो गया कि यह अवश्य सच ही है।। 27 तब उन्होंने अपने पिता याकूब से यूसुफ की सारी बातें, जो उसने उनसे कहीं थीं, कह दीं; जब उसने उन गाड़ियों को देखा, जो यूसुफ ने उसके ले आने के लिये भेजी थीं, तब उसका चित्त स्थिर हो गया। 28 और इस्राएल ने कहा, “बस, मेरा पुत्र यूसुफ अब तक जीवित है; मैं अपनी मृत्यु से पहले जाकर उसको देखूँगा।”
<- उत्पत्ति 44उत्पत्ति 46 ->- a अपने को प्रगट करने के समय: यूसुफ अब अपने भाइयों को यह विस्मित कर देनेवाला तथ्य बताता है कि उनका खोया हुआ भाई वही है। वह अपने को रोक नहीं पाया।
- b परमेश्वर ने .... मुझे तुम्हारे आगे भेज दिया है: वह यह बताता है कि यह परमेश्वर की योजना थी कि उनके प्राण बचाए जाएँ। अतः वे नहीं बल्कि परमेश्वर उन्हें अपनी दया में मिस्र में लाया ताकि उनके प्राण बच जाएँ।
- c उसने उन पर विश्वास न किया, और वह अपने आपे में न रहा: यह समाचार उसके लिए इतना अच्छा था कि वह उस पर तुरन्त विश्वास नहीं कर सका। परन्तु यूसुफ द्वारा कही बातों को, जिन्हें उन्होंने उसे बताया, और उन गाड़ियों को देखकर जो उसने भेजी थीं, उसे आखिरकार निश्चय हो गया कि यह अवश्य सच ही है।