9 जब लिआ ने देखा कि मैं जनने से रहित हो गई हूँ, तब उसने अपनी दासी जिल्पा को लेकर याकूब की पत्नी होने के लिये दे दिया। 10 और लिआ की दासी जिल्पा के भी याकूब से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। 11 तब लिआ ने कहा, “अहो भाग्य!” इसलिए उसने उसका नाम गाद रखा। 12 फिर लिआ की दासी जिल्पा के याकूब से एक और पुत्र उत्पन्न हुआ। 13 तब लिआ ने कहा, “मैं धन्य हूँ; निश्चय स्त्रियाँ मुझे धन्य कहेंगी।” इसलिए उसने उसका नाम आशेर रखा।
14 गेहूँ की कटनी के दिनों में रूबेन को मैदान में दूदाफल*दूदाफल: दूदाफल को “प्रेम फल” भी कहा जाता है, यह स्वाद में मीठा और सुगन्ध देता है, और माना जाता है कि इसके खाने से यौन इच्छाएँ उत्तेजित होती है और महिलाओं को गर्भवती होने में मदद करता है। मिले, और वह उनको अपनी माता लिआ के पास ले गया, तब राहेल ने लिआ से कहा, “अपने पुत्र के दूदाफलों में से कुछ मुझे दे।” 15 उसने उससे कहा, “तूने जो मेरे पति को ले लिया है क्या छोटी बात है? अब क्या तू मेरे पुत्र के दूदाफल भी लेना चाहती है?” राहेल ने कहा, “अच्छा, तेरे पुत्र के दूदाफलों के बदले वह आज रात को तेरे संग सोएगा।” 16 साँझ को जब याकूब मैदान से आ रहा था, तब लिआ उससे भेंट करने को निकली, और कहा, “तुझे मेरे ही पास आना होगा, क्योंकि मैंने अपने पुत्र के दूदाफल देकर तुझे सचमुच मोल लिया।” तब वह उस रात को उसी के संग सोया। 17 तब परमेश्वर ने लिआ की सुनी, और वह गर्भवती हुई और याकूब से उसके पाँचवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। 18 तब लिआ ने कहा, “मैंने जो अपने पति को अपनी दासी दी, इसलिए परमेश्वर ने मुझे मेरी मजदूरी दी है।” इसलिए उसने उसका नाम इस्साकार रखा। 19 लिआ फिर गर्भवती हुई और याकूब से उसके छठवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। 20 तब लिआ ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे अच्छा दान दिया है; अब की बार मेरा पति मेरे संग बना रहेगा, क्योंकि मेरे उससे छः पुत्र उत्पन्न हो चुके हैं।” इसलिए उसने उसका नाम जबूलून रखा। 21 तत्पश्चात् उसके एक बेटी भी हुई, और उसने उसका नाम दीना रखा। 22 परमेश्वर ने राहेल की भी सुधि ली†परमेश्वर ने राहेल की भी सुधि ली: परमेश्वर ने राहेल की ऐसे समय में सुधि ली जो उसके लिए उचित था, जब उसने उसे निर्भर रहने और धैर्य रखने का पाठ पढ़ा दिया। , और उसकी सुनकर उसकी कोख खोली। 23 इसलिए वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; तब उसने कहा, “परमेश्वर ने मेरी नामधराई को दूर कर दिया है।” 24 इसलिए उसने यह कहकर उसका नाम यूसुफ रखा, “परमेश्वर मुझे एक पुत्र और भी देगा।”
37 तब याकूब ने चिनार, और बादाम, और अर्मोन वृक्षों की हरी-हरी छड़ियाँ लेकर, उनके छिलके कहीं-कहीं छील के, उन्हें धारीदार बना दिया, ऐसी कि उन छड़ियों की सफेदी दिखाई देने लगी। 38 और तब छीली हुई छड़ियों को भेड़-बकरियों के सामने उनके पानी पीने के कठौतों में खड़ा किया; और जब वे पानी पीने के लिये आईं तब गाभिन हो गईं। 39 छड़ियों के सामने गाभिन होकर, भेड़-बकरियाँ धारीवाले, चित्तीवाले और चितकबरे बच्चे जनीं। 40 तब याकूब ने भेड़ों के बच्चों को अलग-अलग किया, और लाबान की भेड़-बकरियों के मुँह को चित्तीवाले और सब काले बच्चों की ओर कर दिया; और अपने झुण्डों को उनसे अलग रखा, और लाबान की भेड़-बकरियों से मिलने न दिया। 41 और जब जब बलवन्त भेड़-बकरियाँ गाभिन होती थीं, तब-तब याकूब उन छड़ियों को कठौतों में उनके सामने रख देता था; जिससे वे छड़ियों को देखती हुई गाभिन हो जाएँ। 42 पर जब निर्बल भेड़-बकरियाँ गाभिन होती थी, तब वह उन्हें उनके आगे नहीं रखता था। इससे निर्बल-निर्बल लाबान की रहीं, और बलवन्त-बलवन्त याकूब की हो गईं। 43 इस प्रकार वह पुरुष अत्यन्त धनाढ्य हो गया, और उसके बहुत सी भेड़-बकरियाँ, और दासियाँ और दास और ऊँट और गदहे हो गए।
<- उत्पत्ति 29उत्पत्ति 31 ->- a दूदाफल: दूदाफल को “प्रेम फल” भी कहा जाता है, यह स्वाद में मीठा और सुगन्ध देता है, और माना जाता है कि इसके खाने से यौन इच्छाएँ उत्तेजित होती है और महिलाओं को गर्भवती होने में मदद करता है।
- b परमेश्वर ने राहेल की भी सुधि ली: परमेश्वर ने राहेल की ऐसे समय में सुधि ली जो उसके लिए उचित था, जब उसने उसे निर्भर रहने और धैर्य रखने का पाठ पढ़ा दिया।