9 फिर परमेश्वर ने अब्राहम से कहा, “तू भी मेरे साथ बाँधी हुई वाचा का पालन करना; तू और तेरे पश्चात् तेरा वंश भी अपनी-अपनी पीढ़ी में उसका पालन करे। 10 मेरे साथ बाँधी हुई वाचा, जिसका पालन तुझे और तेरे पश्चात् तेरे वंश को करना पड़ेगा, वह यह है: तुम में से एक-एक पुरुष का खतना हो। 11 तुम अपनी-अपनी खलड़ी का खतना करा लेना: जो वाचा मेरे और तुम्हारे बीच में है, उसका यही चिन्ह होगा। 12 पीढ़ी-पीढ़ी में केवल तेरे वंश ही के लोग नहीं पर जो तेरे घर में उत्पन्न हुआ हो, अथवा परदेशियों को रूपा देकर मोल लिया जाए, ऐसे सब पुरुष भी जब आठ दिन†आठ दिन:खतना करने का दिन, आठवाँ दिन है सात सिद्धता की संख्या है। इसलिए सात दिन को सिद्धता और विशिष्टता के रूप में दिखा जाता है। के हो जाएँ, तब उनका खतना किया जाए। 13 जो तेरे घर में उत्पन्न हो, अथवा तेरे रूपे से मोल लिया जाए, उसका खतना अवश्य ही किया जाए; इस प्रकार मेरी वाचा जिसका चिन्ह तुम्हारी देह में होगा वह युग-युग रहेगी। 14 जो पुरुष खतनारहित रहे, अर्थात् जिसकी खलड़ी का खतना न हो, वह प्राणी अपने लोगों में से नाश किया जाए, क्योंकि उसने मेरे साथ बाँधी हुई वाचा को तोड़ दिया।”
22 तब परमेश्वर ने अब्राहम से बातें करनी बन्द की और उसके पास से ऊपर चढ़ गया। 23 तब अब्राहम ने अपने पुत्र इश्माएल को लिया और, उसके घर में जितने उत्पन्न हुए थे, और जितने उसके रुपये से मोल लिये गए थे, अर्थात् उसके घर में जितने पुरुष थे, उन सभी को लेकर उसी दिन परमेश्वर के वचन के अनुसार उनकी खलड़ी का खतना किया। 24 जब अब्राहम की खलड़ी का खतना हुआ तब वह निन्यानवे वर्ष का था। 25 और जब उसके पुत्र इश्माएल की खलड़ी का खतना हुआ तब वह तेरह वर्ष का था। 26 अब्राहम और उसके पुत्र इश्माएल दोनों का खतना एक ही दिन हुआ। 27 और उसके घर में जितने पुरुष थे जो घर में उत्पन्न हुए, तथा जो परदेशियों के हाथ से मोल लिये गए थे, सब का खतना उसके साथ ही हुआ।
<- उत्पत्ति 16उत्पत्ति 18 ->- a अब्राम मुँह के बल गिरा: यह आदरपूर्ण भक्ति का सबसे दीन स्वरूप है, जिसमें आराधक अपने घुटने और कोहनी के बल पर अपना माथा जमीन पर टिकाता है।
- b आठ दिन:खतना करने का दिन, आठवाँ दिन है सात सिद्धता की संख्या है। इसलिए सात दिन को सिद्धता और विशिष्टता के रूप में दिखा जाता है।
- c सारै है, उसको तू अब सारै न कहना, उसका नाम सारा: खतना करने का दिन, आठवाँ दिन है सात सिद्धता की संख्या है। इसलिए सात दिन को सिद्धता और विशिष्टता के रूप में दिखा जाता है।