4 यहोवा के इस वचन के अनुसार अब्राम चला; और लूत भी उसके संग चला; और जब अब्राम हारान देश से निकला उस समय वह पचहत्तर वर्ष का था। 5 इस प्रकार अब्राम अपनी पत्नी सारै, और अपने भतीजे लूत को, और जो धन उन्होंने इकट्ठा किया था, और जो प्राणी उन्होंने हारान में प्राप्त किए थे, सब को लेकर कनान देश में जाने को निकल चला; और वे कनान देश में आ गए। (प्रेरि. 7:4) 6 उस देश के बीच से जाते हुए अब्राम शेकेम में, जहाँ मोरे का बांज वृक्ष है पहुँचा। उस समय उस देश में कनानी लोग रहते थे। 7 तब यहोवा ने अब्राम को दर्शन देकर कहा, “यह देश मैं तेरे वंश को दूँगा।” और उसने वहाँ यहोवा के लिये, जिसने उसे दर्शन दिया था, एक वेदी बनाई। (गला. 3:16) 8 फिर वहाँ से आगे बढ़कर, वह उस पहाड़ पर आया, जो बेतेल के पूर्व की ओर है; और अपना तम्बू उस स्थान में खड़ा किया जिसके पश्चिम की ओर तो बेतेल, और पूर्व की ओर आई है; और वहाँ भी उसने यहोवा के लिये एक वेदी बनाई: और यहोवा से प्रार्थना की। 9 और अब्राम आगे बढ़ करके दक्षिण देश की ओर चला गया।
17 तब यहोवा ने फ़िरौन और उसके घराने पर, अब्राम की पत्नी सारै के कारण बड़ी-बड़ी विपत्तियाँ डाली‡यहोवा ने फ़िरौन और उसके घराने पर, अब्राम की पत्नी सारै के कारण बड़ी-बड़ी विपत्तियाँ डाली ईश्वरीय हस्तक्षेप का सम्बंधित लोगों पर उचित प्रभाव पड़ा। जब फ़िरौन को दण्ड मिला, तो यह निष्कर्ष निकलता है कि वह स्वर्ग की दृष्टि में इस विषय में दोषी था।। 18 तब फ़िरौन ने अब्राम को बुलवाकर कहा, “तूने मेरे साथ यह क्या किया? तूने मुझे क्यों नहीं बताया कि वह तेरी पत्नी है? 19 तूने क्यों कहा कि वह तेरी बहन है? मैंने उसे अपनी ही पत्नी बनाने के लिये लिया; परन्तु अब अपनी पत्नी को लेकर यहाँ से चला जा।” 20 और फ़िरौन ने अपने आदमियों को उसके विषय में आज्ञा दी और उन्होंने उसको और उसकी पत्नी को, सब सम्पत्ति समेत जो उसका था, विदा कर दिया।
<- उत्पत्ति 11उत्पत्ति 13 ->- a यहोवा ने अब्राम से कहा: अब्राम की बुलाहट में आज्ञा और प्रतिज्ञा दोनों हैं।
- b वह स्त्री फ़िरौन के महल में पहुँचाई गई: सारै की सुन्दरता की प्रशंसा की गई, और, क्योंकि यह बताया गया था कि वह अकेली है, इसलिए उसे फ़िरौन की पत्नी होने के लिए चुना गया; जबकि उसके भाई के रूप में अब्राम को भेंट दी गईं।
- c यहोवा ने फ़िरौन और उसके घराने पर, अब्राम की पत्नी सारै के कारण बड़ी-बड़ी विपत्तियाँ डाली ईश्वरीय हस्तक्षेप का सम्बंधित लोगों पर उचित प्रभाव पड़ा। जब फ़िरौन को दण्ड मिला, तो यह निष्कर्ष निकलता है कि वह स्वर्ग की दृष्टि में इस विषय में दोषी था।