40 फिर लेवीय, अर्थात् येशुअ की सन्तान और कदमीएल की सन्तान होदव्याह की सन्तान में से चौहत्तर। 41 फिर गवैयों में से आसाप की सन्तान एक सौ अट्ठाईस। 42 फिर दरबानों की सन्तान, शल्लूम की सन्तान, आतेर की सन्तान, तल्मोन की सन्तान, अक्कूब की सन्तान, हतीता की सन्तान, और शोबै की सन्तान, ये सब मिलाकर एक सौ उनतालीस हुए। 43 फिर नतीन की सन्तान, सीहा की सन्तान, हसूपा की सन्तान, तब्बाओत की सन्तान। 44 केरोस की सन्तान, सीअहा की सन्तान, पादोन की सन्तान, 45 लबाना की सन्तान, हगाबा की सन्तान, अक्कूब की सन्तान, 46 हागाब की सन्तान, शल्मै की सन्तान, हानान की सन्तान, 47 गिद्देल की सन्तान, गहर की सन्तान, रायाह की सन्तान, 48 रसीन की सन्तान, नकोदा की सन्तान, गज्जाम की सन्तान, 49 उज्जा की सन्तान, पासेह की सन्तान, बेसै की सन्तान, 50 अस्ना की सन्तान, मूनीम की सन्तान, नपीसीम की सन्तान, 51 बकबूक की सन्तान, हकूपा की सन्तान, हर्हूर की सन्तान। 52 बसलूत की सन्तान, महीदा की सन्तान, हर्शा की सन्तान, 53 बर्कोस की सन्तान, सीसरा की सन्तान, तेमह की सन्तान, 54 नसीह की सन्तान, और हतीपा की सन्तान।
55 फिर सुलैमान के दासों की सन्तान, सोतै की सन्तान, हस्सोपेरेत की सन्तान, परूदा की सन्तान, 56 याला की सन्तान, दर्कोन की सन्तान, गिद्देल की सन्तान, 57 शपत्याह की सन्तान, हत्तील की सन्तान, पोकरेत-सबायीम की सन्तान, और आमी की सन्तान। 58 सब नतीन और सुलैमान के दासों की सन्तान, तीन सौ बानवे थे।
59 फिर जो तेल्मेलाह, तेलहर्शा, करूब, अद्दान और इम्मेर से आए, परन्तु वे अपने-अपने पितरों के घराने और वंशावली न बता सके कि वे इस्राएल के हैं, वे ये हैं: 60 अर्थात् दलायाह की सन्तान, तोबियाह की सन्तान और नकोदा की सन्तान, जो मिलकर छः सौ बावन थे। 61 याजकों की सन्तान में से हबायाह की सन्तान, हक्कोस की सन्तान और बर्जिल्लै की सन्तान, जिसने गिलादी बर्जिल्लै की एक बेटी को ब्याह लिया और उसी का नाम रख लिया था। 62 इन सभी ने अपनी-अपनी वंशावली का पत्र औरों की वंशावली की पोथियों में ढूँढ़ा, परन्तु वे न मिले, इसलिए वे अशुद्ध ठहराकर याजकपद से निकाले गए। 63 और अधिपति ने उनसे कहा, कि जब तक ऊरीम और तुम्मीम धारण करनेवाला कोई याजक‡ऊरीम और तुम्मीम धारण करनेवाला कोई याजक: इस दूसरे मन्दिर में पहले मन्दिर जैसी गरिमा नहीं थी। जरुब्बाबेल के इस गद्यांश से ऐसा प्रतीत होता है कि यह हानि अस्थाई मानी गई है। न हो, तब तक कोई परमपवित्र वस्तु खाने न पाए।
64 समस्त मण्डली मिलकर बयालीस हजार तीन सौ साठ की थी। 65 इनको छोड़ इनके सात हजार तीन सौ सैंतीस दास-दासियाँ और दो सौ गानेवाले और गानेवालियाँ थीं। 66 उनके घोड़े सात सौ छत्तीस, खच्चर दो सौ पैंतालीस, ऊँट चार सौ पैंतीस, 67 और गदहे छः हजार सात सौ बीस थे।
68 पितरों के घरानों के कुछ मुख्य-मुख्य पुरुषों ने जब यहोवा के भवन को जो यरूशलेम में है, आए, तब परमेश्वर के भवन को उसी के स्थान पर खड़ा करने के लिये अपनी-अपनी इच्छा से कुछ दिया। 69 उन्होंने अपनी-अपनी पूँजी के अनुसार इकसठ हजार दर्कमोन सोना और पाँच हजार माने चाँदी और याजकों के योग्य एक सौ अंगरखे अपनी-अपनी इच्छा से उस काम के खजाने में दे दिए।
70 तब याजक और लेवीय और लोगों में से कुछ और गवैये और द्वारपाल और नतीन लोग अपने नगर में और सब इस्राएली अपने-अपने नगर में फिर बस गए।
<- एज्रा 1एज्रा 3 ->- a प्रान्त: यहूदा राज्य अपने आप में अब एक राज्य नहीं था। वह फारस का एक क्षेत्र मात्र था।
- b इस्राएली प्रजा के मनुष्यों: ये वे इस्राएली है जो स्वदेश लौटे थे। ये उनसे अलग हैं जो बाबेल और फारस में रह गए थे।
- c ऊरीम और तुम्मीम धारण करनेवाला कोई याजक: इस दूसरे मन्दिर में पहले मन्दिर जैसी गरिमा नहीं थी। जरुब्बाबेल के इस गद्यांश से ऐसा प्रतीत होता है कि यह हानि अस्थाई मानी गई है।