5 “प्रभु यहोवा यह कहता है: विपत्ति है, एक बड़ी विपत्ति है! देखो, वह आती है। 6 अन्त आ गया है, सब का अन्त आया है; वह तेरे विरुद्ध जागा है। देखो, वह आता है। 7 हे देश के निवासी, तेरे लिये चक्र घूम चुका, समय आ गया, दिन निकट है; पहाड़ों पर आनन्द के शब्द का दिन नहीं, हुल्लड़ ही का होगा। 8 अब थोड़े दिनों में मैं अपनी जलजलाहट तुझ पर भड़काऊँगा, और तुझ पर पूरा कोप उण्डेलूँगा और तेरे चाल चलन के अनुसार तुझे दण्ड दूँगा। और तेरे सारे घिनौने कामों का फल तुझे भुगताऊँगा। 9 मेरी दयादृष्टि तुझ पर न होगी और न मैं तुझ पर कोमलता करूँगा। मैं तेरी चाल चलन का फल तुझे भुगताऊँगा, और तेरे घिनौने पाप तुझ में बने रहेंगे। तब तुम जान लोगे कि मैं यहोवा दण्ड देनेवाला हूँ।
10 “देखो, उस दिन को देखो, वह आता है! चक्र घूम चुका, छड़ी फूल चुकी, अभिमान फूला है। 11 उपद्रव बढ़ते-बढ़ते दुष्टता का दण्ड बन गया; उनमें से कोई न बचेगा, और न उनकी भीड़-भाड़, न उनके धन में से कुछ रहेगा; और न उनमें से किसी के लिये विलाप सुन पड़ेगा। 12 समय आ गया, दिन निकट आ गया है; न तो मोल लेनेवाला आनन्द करे और न बेचनेवाला शोक करे, क्योंकि उनकी सारी भीड़ पर कोप भड़क उठा है। 13 चाहे वे जीवित रहें, तो भी बेचनेवाला बेची हुई वस्तु के पास कभी लौटने न पाएगा*लौटने न पाएगा: वह (विक्रेता) लौटकर नहीं आएगा और प्रत्येक मनुष्य जो अपने अपराधों में जी रहा है, अशक्त ही रहेगा। निर्वासन पाप का छड़ था। निर्वासितों के लिए कहा गया है कि वे पापों में जी रहे थे।; क्योंकि दर्शन की यह बात देश की सारी भीड़ पर घटेगी; कोई न लौटेगा; कोई भी मनुष्य, जो अधर्म में जीवित रहता है, बल न पकड़ सकेगा।
14 “उन्होंने नरसिंगा फूँका और सब कुछ तैयार कर दिया; परन्तु युद्ध में कोई नहीं जाता क्योंकि देश की सारी भीड़ पर मेरा कोप भड़का हुआ है।
23 “एक साँकल बना दे, क्योंकि देश अन्याय की हत्या से, और नगर उपद्रव से भरा हुआ है। 24 मैं अन्यजातियों के बुरे से बुरे लोगों को लाऊँगा, जो उनके घरों के स्वामी हो जाएँगे; और मैं सामर्थियों का गर्व तोड़ दूँगा और उनके पवित्रस्थान अपवित्र किए जाएँगे। 25 सत्यानाश होने पर है तब ढूँढ़ने पर भी उन्हें शान्ति न मिलेगी। 26 विपत्ति पर विपत्ति आएगी और उड़ती हुई चर्चा पर चर्चा सुनाई पड़ेगी; और लोग भविष्यद्वक्ता से दर्शन की बात पूछेंगे, परन्तु याजक के पास से व्यवस्था, और पुरनिये के पास से सम्मति देने की शक्ति जाती रहेगी। 27 राजा तो शोक करेगा, और रईस उदासीरूपी वस्त्र पहनेंगे, और देश के लोगों के हाथ ढीले पड़ेंगे। मैं उनके चलन के अनुसार उनसे बर्ताव करूँगा, और उनकी कमाई के समान उनको दण्ड दूँगा; तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
<- यहेजकेल 6यहेजकेल 8 ->