6 फिर यहोवा ने उससे यह भी कहा, “अपना हाथ छाती पर रखकर ढाँप।” अतः उसने अपना हाथ छाती पर रखकर ढाँप लिया; फिर जब उसे निकाला तब क्या देखा, कि उसका हाथ कोढ़ के कारण हिम के समान श्वेत हो गया है। 7 तब उसने कहा, “अपना हाथ छाती पर फिर रखकर ढाँप।” और उसने अपना हाथ छाती पर रखकर ढाँप लिया; और जब उसने उसको छाती पर से निकाला तब क्या देखता है कि वह फिर सारी देह के समान हो गया। 8 तब यहोवा ने कहा, “यदि वे तेरी बात पर विश्वास न करें, और पहले चिन्ह को न मानें, तो दूसरे चिन्ह पर विश्वास करेंगे। 9 और यदि वे इन दोनों चिन्हों पर विश्वास न करें और तेरी बात को न मानें, तब तू नील नदी से कुछ जल लेकर सूखी भूमि पर डालना; और जो जल तू नदी से निकालेगा वह सूखी भूमि पर लहू बन जाएगा।” (निर्ग. 7:19)
10 मूसा ने यहोवा से कहा, “हे मेरे प्रभु, मैं बोलने में निपुण†बोलने में निपुण: इसका अर्थ शब्द ढूँढ़ने और उन्हें बोलने में कठिनाई का होना है। नहीं, न तो पहले था, और न जब से तू अपने दास से बातें करने लगा; मैं तो मुँह और जीभ का भद्दा हूँ।” 11 यहोवा ने उससे कहा, “मनुष्य का मुँह किसने बनाया है? और मनुष्य को गूँगा, या बहरा, या देखनेवाला, या अंधा, मुझ यहोवा को छोड़ कौन बनाता है? 12 अब जा, मैं तेरे मुख के संग होकर जो तुझे कहना होगा वह तुझे सिखाता जाऊँगा।” 13 उसने कहा, “हे मेरे प्रभु, कृपया तू किसी अन्य व्यक्ति को भेज।” 14 तब यहोवा का कोप मूसा पर भड़का और उसने कहा, “क्या तेरा भाई लेवीय हारून‡हारून: हारून के पास बोलने की इच्छा और सामर्थ्य दोनों थी। यहाँ हारून को लेवीय कहा गया है। नहीं है? मुझे तो निश्चय है कि वह बोलने में निपुण है, और वह तुझ से भेंट करने के लिये निकल भी गया है, और तुझे देखकर मन में आनन्दित होगा। 15 इसलिए तू उसे ये बातें सिखाना; और मैं उसके मुख के संग और तेरे मुख के संग होकर जो कुछ तुम्हें करना होगा वह तुम को सिखाता जाऊँगा। 16 वह तेरी ओर से लोगों से बातें किया करेगा; वह तेरे लिये मुँह और तू उसके लिये परमेश्वर ठहरेगा। 17 और तू इस लाठी को हाथ में लिए जा, और इसी से इन चिन्हों को दिखाना।”
21 और यहोवा ने मूसा से कहा, “जब तू मिस्र में पहुँचे तब सावधान हो जाना, और जो चमत्कार मैंने तेरे वश में किए हैं उन सभी को फ़िरौन को दिखलाना; परन्तु मैं उसके मन को हठीला करूँगा, और वह मेरी प्रजा को जाने न देगा। (रोम. 9:18) 22 और तू फ़िरौन से कहना, ‘यहोवा यह कहता है, कि इस्राएल मेरा पुत्र वरन् मेरा पहलौठा है, 23 और मैं जो तुझ से कह चुका हूँ, कि मेरे पुत्र को जाने दे कि वह मेरी सेवा करे; और तूने अब तक उसे जाने नहीं दिया, इस कारण मैं अब तेरे पुत्र वरन् तेरे पहलौठे को घात करूँगा।’ ”
24 तब ऐसा हुआ कि मार्ग पर सराय में यहोवा ने मूसा से भेंट करके उसे मार डालना चाहा। 25 तब सिप्पोरा ने एक तेज चकमक पत्थर लेकर अपने बेटे की खलड़ी को काट डाला, और मूसा के पाँवों पर यह कहकर फेंक दिया, “निश्चय तू लहू बहानेवाला मेरा पति है*लहू बहानेवाला मेरा पति है: उनके बीच विवाह के बंधन पर अब लहू बहाने के द्वारा मुहर लगी। उस विधि को पूरा करके, सिप्पोरा ने अपने पति को पुनः पा लिया; उसके बेटे के लहू के द्वारा उसने अपने पति के जीवन को खरीद लिया। ।” 26 तब उसने उसको छोड़ दिया। और उसी समय खतने के कारण वह बोली, “तू लहू बहानेवाला पति है।”
- a लाठी: यहाँ लाठी शब्द का अभिप्राय उस बड़ी लाठी से है जो उन लोगों के हाथ में होती थी जिनके पास अधिकार का पद होता था।
- b बोलने में निपुण: इसका अर्थ शब्द ढूँढ़ने और उन्हें बोलने में कठिनाई का होना है।
- c हारून: हारून के पास बोलने की इच्छा और सामर्थ्य दोनों थी। यहाँ हारून को लेवीय कहा गया है।
- d परमेश्वर की उस लाठी: मूसा की लाठी आश्चर्यकर्मों द्वारा पवित्र ठहरी और वह परमेश्वर की लाठी बन गई। (निर्ग. 4:2)
- e लहू बहानेवाला मेरा पति है: उनके बीच विवाह के बंधन पर अब लहू बहाने के द्वारा मुहर लगी। उस विधि को पूरा करके, सिप्पोरा ने अपने पति को पुनः पा लिया; उसके बेटे के लहू के द्वारा उसने अपने पति के जीवन को खरीद लिया।