4 यह बुरा समाचार सुनकर वे लोग विलाप करने लगे; और कोई अपने गहने पहने हुए न रहा। 5 क्योंकि यहोवा ने मूसा से कह दिया था, “इस्राएलियों को मेरा यह वचन सुना, ‘तुम लोग तो हठीले हो; जो मैं पल भर के लिये तुम्हारे बीच होकर चलूँ, तो तुम्हारा अन्त कर डालूँगा। इसलिए अब अपने-अपने गहने अपने अंगों से उतार दो, कि मैं जानूँ कि तुम्हारे साथ क्या करना चाहिए।’ ” 6 तब इस्राएली होरेब पर्वत से लेकर आगे को अपने गहने उतारे रहे।
17 यहोवा ने मूसा से कहा, “मैं यह काम भी जिसकी चर्चा तूने की है करूँगा; क्योंकि मेरे अनुग्रह की दृष्टि तुझ पर है, और तेरा नाम मेरे चित्त में बसा है।” 18 उसने कहा, “मुझे अपना तेज दिखा दे‡मुझे अपना तेज दिखा दे: यहोवा के विश्वासयोग्य दास ने भक्तिपूर्ण आत्मा के साथ अपने स्वामी, अपने परमेश्वर से और घनिष्ठता की विनती की।।” 19 उसने कहा, “मैं तेरे सम्मुख होकर चलते हुए तुझे अपनी सारी भलाई§सारी भलाई: यहोवा ने अपनी इच्छा बताई जो उस अनुग्रह का आधार थी जिसे वह इस्राएलियों पर प्रगट करने को था। दिखाऊँगा, और तेरे सम्मुख यहोवा नाम का प्रचार करूँगा, और जिस पर मैं अनुग्रह करना चाहूँ उसी पर अनुग्रह करूँगा, और जिस पर दया करना चाहूँ उसी पर दया करूँगा।” 20 फिर उसने कहा, “तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता।” 21 फिर यहोवा ने कहा, “सुन, मेरे पास एक स्थान है, तू उस चट्टान पर खड़ा हो; 22 और जब तक मेरा तेज तेरे सामने होकर चलता रहे तब तक मैं तुझे चट्टान के दरार में रखूँगा, और जब तक मैं तेरे सामने होकर न निकल जाऊँ तब तक अपने हाथ से तुझे ढाँपे रहूँगा; 23 फिर मैं अपना हाथ उठा लूँगा, तब तू मेरी पीठ का तो दर्शन पाएगा, परन्तु मेरे मुख का दर्शन नहीं मिलेगा।”
<- निर्गमन 32निर्गमन 34 ->- a छावनी से बाहर: जिससे लोगों को यह महसूस हो कि वे ईश्वरीय उपस्थिति द्वारा सुरक्षा के घिरे में हैं। यह तम्बू यहोवा से मिलने का स्थान था।
- b तू हमारे संग-संग चले: केवल यही वह बात थी जो उन्हें अन्यजातियों से अलग बनाती थी।
- c मुझे अपना तेज दिखा दे: यहोवा के विश्वासयोग्य दास ने भक्तिपूर्ण आत्मा के साथ अपने स्वामी, अपने परमेश्वर से और घनिष्ठता की विनती की।
- d सारी भलाई: यहोवा ने अपनी इच्छा बताई जो उस अनुग्रह का आधार थी जिसे वह इस्राएलियों पर प्रगट करने को था।