6 उनके बीच कोई आठ दस दिन रहकर वह कैसरिया गया: और दूसरे दिन न्याय आसन पर बैठकर पौलुस को लाने की आज्ञा दी। 7 जब वह आया, तो जो यहूदी यरूशलेम से आए थे, उन्होंने आस-पास खड़े होकर उस पर बहुत से गम्भीर दोष लगाए, जिनका प्रमाण वे नहीं दे सकते थे। 8 परन्तु पौलुस ने उत्तर दिया, “मैंने न तो यहूदियों की व्यवस्था के और न मन्दिर के, और न कैसर के विरुद्ध कोई अपराध किया है।” 9 तब फेस्तुस ने यहूदियों को खुश करने की इच्छा से पौलुस को उत्तर दिया, “क्या तू चाहता है कि यरूशलेम को जाए; और वहाँ मेरे सामने तेरा यह मुकद्दमा तय किया जाए?”
23 अतः दूसरे दिन, जब अग्रिप्पा और बिरनीके बड़ी धूमधाम से आकर सैन्य-दल के सरदारों और नगर के प्रमुख लोगों के साथ दरबार में पहुँचे। तब फेस्तुस ने आज्ञा दी, कि वे पौलुस को ले आएँ। 24 फेस्तुस ने कहा, “हे महाराजा अग्रिप्पा, और हे सब मनुष्यों जो यहाँ हमारे साथ हो, तुम इस मनुष्य को देखते हो, जिसके विषय में सारे यहूदियों ने यरूशलेम में और यहाँ भी चिल्ला चिल्लाकर मुझसे विनती की, कि इसका जीवित रहना उचित नहीं। 25 परन्तु मैंने जान लिया कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया कि मार डाला जाए; और जबकि उसने आप ही महाराजाधिराज की दुहाई दी, तो मैंने उसे भेजने का निर्णय किया। 26 परन्तु मैंने उसके विषय में कोई ठीक बात नहीं पाई कि महाराजाधिराज को लिखूँ‡कोई ठीक बात नहीं पाई कि महाराजाधिराज को लिखूँ: लिखने के लिए कुछ भी निश्चित और सुव्यवस्थित नहीं। वे रोमन कानून के विरुद्ध किसी भी अपराध में पौलुस को दोषी नहीं ठहरा पाए।, इसलिए मैं उसे तुम्हारे सामने और विशेष करके हे राजा अग्रिप्पा तेरे सामने लाया हूँ, कि जाँचने के बाद मुझे कुछ लिखने को मिले। 27 क्योंकि बन्दी को भेजना और जो दोष उस पर लगाए गए, उन्हें न बताना, मुझे व्यर्थ समझ पड़ता है।”
<- प्रेरितों के काम 24प्रेरितों के काम 26 ->- a घात: यह वही है, वे मार्ग में प्रतिक्षा करेगा, या यात्रा में उनकी जान लेने के लिए वे हत्यारों के जत्थों के साथ होगा।
- b अग्रिप्पा राजा: यह अग्रिप्पा हेरोदेस अग्रिप्पा का पुत्र था प्रेरित 12:1, और हेरोदेस महान का प्रपौत्र था।
- c कोई ठीक बात नहीं पाई कि महाराजाधिराज को लिखूँ: लिखने के लिए कुछ भी निश्चित और सुव्यवस्थित नहीं। वे रोमन कानून के विरुद्ध किसी भी अपराध में पौलुस को दोषी नहीं ठहरा पाए।