8 हे प्रियों, यह एक बात तुम से छिपी न रहे, कि प्रभु के यहाँ एक दिन हजार वर्ष के बराबर है, और हजार वर्ष एक दिन के बराबर हैं। (भज. 90:4) 9 प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता†प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता: अर्थात्, यह अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए कि वह असफल हो जाएगा क्योंकि उनकी प्रतिज्ञा पूरी होने में अधिक समय के लिये देर हो गई हैं।, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन् यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले। (हब. 2:3-4) 10 परन्तु प्रभु का दिन‡प्रभु का दिन: अर्थात्, वह दिन जिसमें वह प्रकट हो जाएगा, वह उनका दिन कहा जाता हैं, क्योंकि तब वह सभी के न्यायाधीश के रूप में भव्य और प्रमुख उद्देश्य होगा। चोर के समान आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़े शोर के साथ जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएँगे, और पृथ्वी और उसके कामों का न्याय होगा। 11 तो जबकि ये सब वस्तुएँ, इस रीति से पिघलनेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चाल चलन और भक्ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए, 12 और परमेश्वर के उस दिन की प्रतीक्षा किस रीति से करनी चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए; जिसके कारण आकाश आग से पिघल जाएँगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएँगे। (यशा. 34:4) 13 पर उसकी प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नये आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिनमें धार्मिकता वास करेगी। (यशा. 60:21, यशा. 65:17, यशा. 66:22, प्रका. 21:1,27)
- a उसी वचन के द्वारा: केवल परमेश्वर की इच्छा पर निर्भर होना। उन्हें सिर्फ आज्ञा देना हैं और सभी नष्ट हो जाएगा।
- b प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता: अर्थात्, यह अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए कि वह असफल हो जाएगा क्योंकि उनकी प्रतिज्ञा पूरी होने में अधिक समय के लिये देर हो गई हैं।
- c प्रभु का दिन: अर्थात्, वह दिन जिसमें वह प्रकट हो जाएगा, वह उनका दिन कहा जाता हैं, क्योंकि तब वह सभी के न्यायाधीश के रूप में भव्य और प्रमुख उद्देश्य होगा।