4 एलिय्याह ने उससे कहा, “हे एलीशा, यहोवा मुझे यरीहो को भेजता है; इसलिए तू यहीं ठहरा रह।” उसने कहा, “यहोवा के और तेरे जीवन की शपथ मैं तुझे नहीं छोड़ने का।” अतः वे यरीहो को आए। 5 और यरीहोवासी भविष्यद्वक्ताओं के दल एलीशा के पास आकर कहने लगे, “क्या तुझे मालूम है कि आज यहोवा तेरे स्वामी को तेरे पास से उठा लेने पर है?” उसने उत्तर दिया, “हाँ मुझे भी मालूम है, तुम चुप रहो।”
6 फिर एलिय्याह ने उससे कहा, “यहोवा मुझे यरदन तक भेजता है, इसलिए तू यहीं ठहरा रह।” उसने कहा, “यहोवा के और तेरे जीवन की शपथ मैं तुझे नहीं छोड़ने का।” अतः वे दोनों आगे चले। 7 और भविष्यद्वक्ताओं के दल में से पचास जन जाकर उनके सामने दूर खड़े हुए, और वे दोनों यरदन के किनारे खड़े हुए। 8 तब एलिय्याह ने अपनी चद्दर पकड़कर ऐंठ ली, और जल पर मारा, तब वह इधर-उधर दो भाग हो गया; और वे दोनों स्थल ही स्थल पार उतर गए। 9 उनके पार पहुँचने पर एलिय्याह ने एलीशा से कहा, “इससे पहले कि मैं तेरे पास से उठा लिया जाऊँ जो कुछ तू चाहे कि मैं तेरे लिये करूँ, वह माँग।” एलीशा ने कहा, “तुझ में जो आत्मा है, उसका दो गुना भाग मुझे मिल जाए†तुझ में जो आत्मा है, उसका दो गुना भाग मुझे मिल जाए: सुलैमान के सदृश्य एलीशा भी सांसारिक लाभ की अपेक्षा अपनी कर्त्तव्य पूर्ति हेतु आत्मिक शक्ति माँगी। ।” 10 एलिय्याह ने कहा, “तूने कठिन बात माँगी है, तो भी यदि तू मुझे उठा लिये जाने के बाद देखने पाए तो तेरे लिये ऐसा ही होगा; नहीं तो न होगा।” 11 वे चलते-चलते बातें कर रहे थे, कि अचानक एक अग्निमय रथ और अग्निमय घोड़ों ने उनको अलग-अलग किया, और एलिय्याह बवंडर में होकर स्वर्ग पर चढ़ गया। (मर. 16:19, प्रका. 11:12) 12 और उसे एलीशा देखता और पुकारता रहा, “हाय मेरे पिता! हाय मेरे पिता! हाय इस्राएल के रथ और सवारों‡हाय इस्राएल के रथ और सवारों: ये कठिन शब्द सम्भवतः एलिय्याह के लिए कहे गए हैं जिसे एलीशा इस्राएल की सच्ची सुरक्षा, रथों और घुड़सवारों से अधिक उत्तम कहता है। अत: दुःख के कारण उसने कपड़े फाड़े। !”
15 उसे देखकर भविष्यद्वक्ताओं के दल जो यरीहो में उसके सामने थे, कहने लगे, “एलिय्याह में जो आत्मा थी, वही एलीशा पर ठहर गई है।” अतः वे उससे मिलने को आए और उसके सामने भूमि तक झुककर दण्डवत् की। 16 तब उन्होंने उससे कहा, “सुन, तेरे दासों के पास पचास बलवान पुरुष हैं, वे जाकर तेरे स्वामी को ढूँढ़ें, सम्भव है कि क्या जाने यहोवा के आत्मा ने उसको उठाकर किसी पहाड़ पर या किसी तराई में डाल दिया हो।” उसने कहा, “मत भेजो।” 17 जब उन्होंने उसको यहाँ तक दबाया कि वह लज्जित हो गया, तब उसने कहा, “भेज दो।” अतः उन्होंने पचास पुरुष भेज दिए, और वे उसे तीन दिन तक ढूँढ़ते रहे परन्तु न पाया। 18 उस समय तक वह यरीहो में ठहरा रहा, अतः जब वे उसके पास लौट आए, तब उसने उनसे कहा, “क्या मैंने तुम से न कहा था, कि मत जाओ?”
23 वहाँ से वह बेतेल को चला, और मार्ग की चढ़ाई में चल रहा था कि नगर से छोटे लड़के निकलकर उसका उपहास करके कहने लगे, “हे चन्दुए चढ़ जा, हे चन्दुए चढ़ जा।”
24 तब उसने पीछे की ओर फिरकर उन पर दृष्टि की और यहोवा के नाम से उनको श्राप दिया, तब जंगल में से दो रीछनियों ने निकलकर उनमें से बयालीस लड़के फाड़ डाले। 25 वहाँ से वह कर्मेल को गया, और फिर वहाँ से सामरिया को लौट गया।
<- 2 राजाओं 12 राजाओं 3 ->- a यहोवा मुझे बेतेल तक भेजता है: एलिय्याह को बेतेल तक जाने का निर्देश था क्योंकि वहाँ भविष्यद्वक्ताओं की पाठशाला, थी जिससे कि उसके वचन, नहीं तो उसकी उपस्थिति उन्हें उसके चले जाने से पूर्व उन्हें शान्ति दे तथा प्रोत्साहित करे।
- b तुझ में जो आत्मा है, उसका दो गुना भाग मुझे मिल जाए: सुलैमान के सदृश्य एलीशा भी सांसारिक लाभ की अपेक्षा अपनी कर्त्तव्य पूर्ति हेतु आत्मिक शक्ति माँगी।
- c हाय इस्राएल के रथ और सवारों: ये कठिन शब्द सम्भवतः एलिय्याह के लिए कहे गए हैं जिसे एलीशा इस्राएल की सच्ची सुरक्षा, रथों और घुड़सवारों से अधिक उत्तम कहता है। अत: दुःख के कारण उसने कपड़े फाड़े।