7 फिर उसने सोने की दस दीवट विधि के अनुसार बनवाईं, और पाँच दाहिनी ओर और पाँच बाईं ओर मन्दिर में रखवा दीं। 8 फिर उसने दस मेज बनवाकर पाँच दाहिनी ओर और पाँच बाईं ओर मन्दिर में रखवा दीं। और उसने सोने के एक सौ कटोरे बनवाए। 9 फिर उसने याजकों के आँगन और बड़े आँगन को बनवाया, और इस आँगन में फाटक बनवाकर उनके किवाड़ों पर पीतल मढ़वाया। 10 उसने हौद को भवन की दाहिनी ओर अर्थात् पूर्व और दक्षिण के कोने की ओर रखवा दिया।
11 हूराम ने हण्डों, फावड़ियों, और कटोरों को बनाया। इस प्रकार हूराम ने राजा सुलैमान के लिये परमेश्वर के भवन में जो काम करना था उसे पूरा किया 12 अर्थात् दो खम्भे और गोलों समेत वे कँगनियाँ जो खम्भों के सिरों पर थीं, और खम्भों के सिरों पर के गोलों को ढाँकने के लिए जालियों की दो-दो पंक्ति; 13 और दोनों जालियों के लिये चार सौ अनार और जो गोले खम्भों के सिरों पर थे, उनको ढाँकनेवाली एक-एक जाली के लिये अनारों की दो-दो पंक्ति बनाईं। 14 फिर उसने कुर्सियाँ और कुर्सियों पर की हौदियाँ, 15 और उनके नीचे के बारह बैल बनाए। 16 फिर हूराम-अबी ने हण्डों, फावड़ियों, काँटों और इनके सब सामान को यहोवा के भवन के लिये राजा सुलैमान की आज्ञा से झलकाए हुए पीतल के बनवाए। 17 राजा ने उनको यरदन की तराई में अर्थात् सुक्कोत और सारतान के बीच की चिकनी मिट्टीवाली भूमि में ढलवाया। 18 सुलैमान ने ये सब पात्र बहुत मात्रा में बनवाए, यहाँ तक कि पीतल के तौल का हिसाब न था।
19 अतः सुलैमान ने परमेश्वर के भवन के सब पात्र, सोने की वेदी, और वे मेज*वे मेज: (1 राजा 7:48, 2 इति. 29,18) में केवल एक ही मेज का उल्लेख किया गया है। ऐसा अनुमान है कि सुलैमान ने एक समान दस मेजें बनवाई थीं, जिनमें से किसी एक मेज पर भेंट की रोटियाँ रखी जाती थीं। जिन पर भेंट की रोटी रखी जाती थीं, 20 फिर दीपकों समेत शुद्ध सोने की दीवटें, जो विधि के अनुसार भीतरी कोठरी के सामने जला करती थीं। 21 और सोने वरन् निरे सोने के फूल, दीपक और चिमटे; 22 और शुद्ध सोने की कैंचियाँ, कटोरे, धूपदान और करछे बनवाए। फिर भवन के द्वार और परमपवित्र स्थान के भीतरी दरवाजे और भवन अर्थात् मन्दिर के दरवाजे सोने के बने।
<- 2 इतिहास 32 इतिहास 5 ->- a वे मेज: (1 राजा 7:48, 2 इति. 29,18) में केवल एक ही मेज का उल्लेख किया गया है। ऐसा अनुमान है कि सुलैमान ने एक समान दस मेजें बनवाई थीं, जिनमें से किसी एक मेज पर भेंट की रोटियाँ रखी जाती थीं।