8 उसके दिनों में एदोम ने यहूदा की अधीनता छोड़कर अपने ऊपर एक राजा बना लिया। 9 तब यहोराम अपने हाकिमों और अपने सब रथों को साथ लेकर उधर गया, और रथों के प्रधानों को मारा। 10 अतः एदोम यहूदा के वश से छूट गया और आज तक वैसा ही है। उसी समय लिब्ना ने भी उसकी अधीनता छोड़ दी, यह इस कारण हुआ, कि उसने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा को त्याग दिया था।
11 उसने यहूदा के पहाड़ों पर ऊँचे स्थान बनाए†उसने यहूदा के पहाड़ों पर ऊँचे स्थान बनाए: हमारे पास यहोराम की मूर्तिपूजा का ब्योरा है। वह अपनी पत्नी आहाब की पुत्री अतल्याह के बुरे प्रभाव के अधीन था। और यरूशलेम के निवासियों से व्यभिचार कराया, और यहूदा को बहका दिया।
18 इन सब के बाद यहोवा ने उसे अंतड़ियों के असाध्य रोग से पीड़ित कर दिया। 19 कुछ समय के बाद अर्थात् दो वर्ष के अन्त में उस रोग के कारण उसकी अंतड़ियाँ निकल पड़ीं, और वह अत्यन्त पीड़ित होकर मर गया। और उसकी प्रजा ने जैसे उसके पुरखाओं के लिये सुगन्ध-द्रव्य जलाया था, वैसा उसके लिये कुछ न जलाया। 20 वह जब राज्य करने लगा, तब बत्तीस वर्ष का था, और यरूशलेम में आठ वर्ष तक राज्य करता रहा; और सब को अप्रिय होकर जाता रहा। उसको दाऊदपुर में मिट्टी दी गई, परन्तु राजाओं के कब्रिस्तान में नहीं।
<- 2 इतिहास 202 इतिहास 22 ->- a वह जेठा था: उतरी और दक्षिणी राज्यों में इन नियमों में छूट सुलैमान के कारण थी जहाँ दिव्य नियुक्ति प्रकृति पर प्रबल हुई थी।
- b उसने यहूदा के पहाड़ों पर ऊँचे स्थान बनाए: हमारे पास यहोराम की मूर्तिपूजा का ब्योरा है। वह अपनी पत्नी आहाब की पुत्री अतल्याह के बुरे प्रभाव के अधीन था।
- c यहोआहाज: इतिहास की पुस्तक का लेखक उसे यहोआहाज और अबस्थाह कहता है जो एक जैसे नाम ही हैं।