8 यरूशलेम में भी यहोशापात ने लेवियों और याजकों और इस्राएल के पितरों के घरानों के कुछ मुख्य पुरुषों को यहोवा की ओर से न्याय करने और मुकद्दमों को जाँचने†न्याय करने और मुकद्दमों को जाँचने: न्याय करने का अर्थ है, धार्मिक अनिवार्यताओं से सम्बंधित मतभेद सुलझाना। मुकद्दमों में अन्य सब विषय जैसे मौजदारी और नागरिक के। के लिये ठहराया। उनका न्याय-आसन यरूशलेम में था। 9 उसने उनको आज्ञा दी, “यहोवा का भय मानकर, सच्चाई और निष्कपट मन से ऐसा करना। 10 तुम्हारे भाई जो अपने-अपने नगर में रहते हैं, उनमें से जिसका कोई मुकद्दमा तुम्हारे सामने आए, चाहे वह खून का हो, चाहे व्यवस्था, अथवा किसी आज्ञा या विधि या नियम के विषय हो, उनको चिता देना कि यहोवा के विषय दोषी न हो। ऐसा न हो कि तुम पर और तुम्हारे भाइयों पर उसका क्रोध भड़के। ऐसा करो तो तुम दोषी न ठहरोगे। 11 और देखो, यहोवा के विषय के सब मुकद्दमों में तो अमर्याह महायाजक, और राजा के विषय के सब मुकद्दमों में यहूदा के घराने का प्रधान इश्माएल का पुत्र जबद्याह तुम्हारे ऊपर अधिकारी है; और लेवीय तुम्हारे सामने सरदारों का काम करेंगे। इसलिए हियाव बाँधकर काम करो और भले मनुष्य के साथ यहोवा रहेगा।”
<- 2 इतिहास 182 इतिहास 20 ->- a दुष्टों की सहायता करनी: आहाब एक मूर्तिपूजक था वह राज्य में झूठा धर्म लाया जो नया तो था परन्तु अत्यधिक पतित था। इसी कारण यहोशापात उससे सम्बंधित विच्छेद करने पर विपक्ष हुआ।
- b न्याय करने और मुकद्दमों को जाँचने: न्याय करने का अर्थ है, धार्मिक अनिवार्यताओं से सम्बंधित मतभेद सुलझाना। मुकद्दमों में अन्य सब विषय जैसे मौजदारी और नागरिक के।