9 उनके विरुद्ध दस लाख पुरुषों की सेना और तीन सौ रथ लिये हुए जेरह नामक एक कूशी निकला और मारेशा तक आ गया। 10 तब आसा उसका सामना करने को चला और मारेशा के निकट सापता नामक तराई में युद्ध की पाँति बाँधी गई। 11 तब आसा ने अपने परमेश्वर यहोवा की दुहाई दी, “हे यहोवा! जैसे तू सामर्थी की सहायता कर सकता है, वैसे ही शक्तिहीन की भी; हे हमारे परमेश्वर यहोवा! हमारी सहायता कर, क्योंकि हमारा भरोसा तुझी पर है और तेरे नाम का भरोसा करके हम इस भीड़ के विरुद्ध आए हैं। हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है; मनुष्य तुझ पर प्रबल न होने पाएगा।” 12 तब यहोवा ने कूशियों को आसा और यहूदियों के सामने मारा और कूशी भाग गए। 13 आसा और उसके संग के लोगों ने उनका पीछा गरार तक किया, और इतने कूशी मारे गए, कि वे फिर सिर न उठा सके क्योंकि वे यहोवा और उसकी सेना से हार गए, और यहूदी बहुत सी लूट ले गए। 14 उन्होंने गरार के आस-पास के सब नगरों को मार लिया*उन्होंने गरार के आस-पास के सब नगरों को मार लिया: सम्भव है कि इस क्षेत्र के पलिश्तियों ने कूशी जेरह के इस अभियान में साथ दिया था। , क्योंकि यहोवा का भय उनके रहनेवालों के मन में समा गया और उन्होंने उन नगरों को लूट लिया, क्योंकि उनमें बहुत सा धन था। 15 फिर पशु-शालाओं को जीतकर बहुत सी भेड़-बकरियाँ और ऊँट लूटकर यरूशलेम को लौटे।
<- 2 इतिहास 132 इतिहास 15 ->- a उन्होंने गरार के आस-पास के सब नगरों को मार लिया: सम्भव है कि इस क्षेत्र के पलिश्तियों ने कूशी जेरह के इस अभियान में साथ दिया था।