9 उसी विधवा का नाम लिखा जाए जो साठ वर्ष से कम की न हो, और एक ही पति की पत्नी रही हो, 10 और भले काम में सुनाम रही हो, जिसने बच्चों का पालन-पोषण किया हो; अतिथि की सेवा की हो, पवित्र लोगों के पाँव धोए हों, दुःखियों की सहायता की हो, और हर एक भले काम में मन लगाया हो। 11 पर जवान विधवाओं के नाम न लिखना, क्योंकि जब वे मसीह का विरोध करके सुख-विलास में पड़ जाती हैं, तो विवाह करना चाहती हैं, 12 और दोषी ठहरती हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी पहली प्रतिज्ञा को छोड़ दिया है। 13 और इसके साथ ही साथ वे घर-घर फिरकर आलसी होना सीखती हैं, और केवल आलसी नहीं, पर बक-बक करती रहतीं और दूसरों के काम में हाथ भी डालती हैं और अनुचित बातें बोलती हैं। 14 इसलिए मैं यह चाहता हूँ, कि जवान विधवाएँ विवाह करें; और बच्चे जनें और घरबार सम्भालें, और किसी विरोधी को बदनाम करने का अवसर न दें। 15 क्योंकि कई एक तो बहक कर शैतान के पीछे हो चुकी हैं। 16 यदि किसी विश्वासिनी के यहाँ विधवाएँ हों, तो वही उनकी सहायता करे कि कलीसिया पर भार न हो ताकि वह उनकी सहायता कर सके, जो सचमुच में विधवाएँ हैं।
23 भविष्य में केवल जल ही का पीनेवाला न रह, पर अपने पेट के और अपने बार बार बीमार होने के कारण थोड़ा-थोड़ा दाखरस भी लिया कर‡थोड़ा-थोड़ा दाखरस भी लिया कर: यहाँ पर दाखरस के उपयोग से प्राप्त होनेवाली खुशी के लिए नहीं था, परन्तु यह एक औषधि के रूप में, स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए उसका उपयोग किया जाता था।।
24 कुछ मनुष्यों के पाप प्रगट हो जाते हैं, और न्याय के लिये पहले से पहुँच जाते हैं, लेकिन दूसरों के पाप बाद में दिखाई देते हैं। 25 वैसे ही कुछ भले काम भी प्रगट होते हैं, और जो ऐसे नहीं होते, वे भी छिप नहीं सकते।
<- 1 तीमुथियुस 41 तीमुथियुस 6 ->- a जो सचमुच विधवा हैं आदर कर: विशेष ध्यान और सम्मान देना जो यहाँ दिया गया हैं, यह गरीब विधवाओं को दर्शाता हैं जो आश्रित हालत में थी।
- b किसी पर शीघ्र हाथ न रखना: यह अभिषेक करने के अर्थ में उल्लेख किया गया है। सामान्य तौर पर सिर के ऊपर हाथ उसके रखा जाता था जो पवित्र सेवा के लिये अभिषिक्त या महत्त्वपूर्ण काम के लिये नियुक्त किया गया हो।
- c थोड़ा-थोड़ा दाखरस भी लिया कर: यहाँ पर दाखरस के उपयोग से प्राप्त होनेवाली खुशी के लिए नहीं था, परन्तु यह एक औषधि के रूप में, स्वास्थ्य को अच्छा रखने के लिए उसका उपयोग किया जाता था।