6 इसलिए परमेश्वर के बलवन्त हाथ के नीचे दीनता से रहो*दीनता से रहो: एक छोटा स्थान या पद लेने के लिए तैयार रहो, इस प्रकार, जैसे वह स्थान आपके लिए है। जो आप से सम्बंधित नहीं हैं उसके लिए अहंकार मत करो।, जिससे वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। 7 अपनी सारी चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। 8 सचेत हो†सचेत हो: इसका मतलब हैं कि शैतान के चाल और शक्ति के विरुद्ध हम अपने आपकी रखवाली करें।, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है, कि किसको फाड़ खाए। 9 विश्वास में दृढ़ होकर, और यह जानकर उसका सामना करो, कि तुम्हारे भाई जो संसार में हैं, ऐसे ही दुःख भुगत रहे हैं। 10 अब परमेश्वर जो सारे अनुग्रह का दाता है, जिसने तुम्हें मसीह में अपनी अनन्त महिमा के लिये बुलाया, तुम्हारे थोड़ी देर तक दुःख उठाने के बाद आप ही तुम्हें सिद्ध और स्थिर और बलवन्त करेगा‡बलवन्त करेगा: परीक्षाओं के माध्यम से, दुःख की प्रवृत्ति हमें मजबूत बनाने के लिए है।। 11 उसी का साम्राज्य युगानुयुग रहे। आमीन।
- a दीनता से रहो: एक छोटा स्थान या पद लेने के लिए तैयार रहो, इस प्रकार, जैसे वह स्थान आपके लिए है। जो आप से सम्बंधित नहीं हैं उसके लिए अहंकार मत करो।
- b सचेत हो: इसका मतलब हैं कि शैतान के चाल और शक्ति के विरुद्ध हम अपने आपकी रखवाली करें।
- c बलवन्त करेगा: परीक्षाओं के माध्यम से, दुःख की प्रवृत्ति हमें मजबूत बनाने के लिए है।