4 तब सब इस्राएलियों समेत दाऊद यरूशलेम गया, जो यबूस भी कहलाता था, और वहाँ यबूसी नामक उस देश के निवासी रहते थे। 5 तब यबूस के निवासियों ने दाऊद से कहा, “तू यहाँ आने नहीं पाएगा।” तो भी दाऊद ने सिय्योन नामक गढ़ को ले लिया, वही दाऊदपुर भी कहलाता है। 6 दाऊद ने कहा, “जो कोई यबूसियों को सबसे पहले मारेगा, वह मुख्य सेनापति होगा,” तब सरूयाह का पुत्र योआब*सरूयाह का पुत्र योआब: उसकी प्रवीणता इस समय और दाऊद नगरी के निर्माण के समय (1 इति. 11:8) - केवल इतिहास के इस एक संदर्भ से हमें ज्ञात होती है। सबसे पहले चढ़ गया, और सेनापति बन गया। 7 तब दाऊद उस गढ़ में रहने लगा, इसलिए उसका नाम दाऊदपुर पड़ा। 8 और उसने नगर के चारों ओर, अर्थात् मिल्लो से लेकर चारों ओर शहरपनाह बनवाई, और योआब ने शेष नगर के खण्डहरों को फिर बसाया। 9 और दाऊद की प्रतिष्ठा अधिक बढ़ती गई और सेनाओं का यहोवा उसके संग था।
12 उसके बाद अहोही दोदो का पुत्र एलीआजर जो तीनों महान वीरों में से एक था। 13 वह पसदम्मीम में जहाँ जौ का एक खेत था, दाऊद के संग रहा जब पलिश्ती वहाँ युद्ध करने को इकट्ठे हुए थे, और लोग पलिश्तियों के सामने से भाग गए। 14 तब उन्होंने उस खेत के बीच में खड़े होकर उसकी रक्षा की, और पलिश्तियों को मारा, और यहोवा ने उनका बड़ा उद्धार किया।
15 तीसों मुख्य पुरुषों में से तीन दाऊद के पास चट्टान को, अर्थात् अदुल्लाम नामक गुफा में गए, और पलिश्तियों की छावनी रपाईम नामक तराई में पड़ी हुई थी। 16 उस समय दाऊद गढ़ में था, और उस समय पलिश्तियों की एक चौकी बैतलहम में थी। 17 तब दाऊद ने बड़ी अभिलाषा के साथ कहा, “कौन मुझे बैतलहम के फाटक के पास के कुएँ का पानी पिलाएगा।” 18 तब वे तीनों जन पलिश्तियों की छावनी पर टूट पड़े और बैतलहम के फाटक के कुएँ से पानी भरकर दाऊद के पास ले आए; परन्तु दाऊद ने पीने से इन्कार किया और यहोवा के सामने अर्घ करके उण्डेला: 19 और उसने कहा, “मेरा परमेश्वर मुझसे ऐसा करना दूर रखे। क्या मैं इन मनुष्यों का लहू पीऊँ जिन्होंने अपने प्राणों पर खेला है? ये तो अपने प्राण पर खेलकर उसे ले आए हैं।” इसलिए उसने वह पानी पीने से इन्कार किया। इन तीन वीरों ने ये ही काम किए।
20 अबीशै जो योआब का भाई था, वह तीनों में मुख्य था। उसने अपना भाला चलाकर तीन सौ को मार डाला और तीनों में नामी हो गया। 21 दूसरी श्रेणी के तीनों में वह अधिक प्रतिष्ठित था, और उनका प्रधान हो गया, परन्तु मुख्य तीनों के पद को न पहुँचा
22 यहोयादा का पुत्र बनायाह था, जो कबसेल के एक वीर का पुत्र था, जिसने बड़े-बड़े काम किए थे, उसने सिंह समान दो मोआबियों को मार डाला, और हिमऋतु में उसने एक गड्ढे में उतर के एक सिंह को मार डाला। 23 फिर उसने एक डील-डौलवाले अर्थात् पाँच हाथ लम्बे मिस्री पुरुष को मार डाला, वह मिस्री हाथ में जुलाहों का ढेका-सा एक भाला लिए हुए था, परन्तु बनायाह एक लाठी ही लिए हुए उसके पास गया, और मिस्री के हाथ से भाले को छीनकर उसी के भाले से उसे घात किया। 24 ऐसे-ऐसे काम करके यहोयादा का पुत्र बनायाह उन तीनों वीरों में नामी हो गया। 25 वह तो तीसों से अधिक प्रतिष्ठित था, परन्तु मुख्य तीनों के पद को न पहुँचा। उसको दाऊद ने अपने अंगरक्षकों का प्रधान नियुक्त किया।
26 फिर दलों के वीर ये थे, अर्थात् योआब का भाई असाहेल, बैतलहमी दोदो का पुत्र एल्हनान, 27 हरोरी शम्मोत, पलोनी हेलेस, 28 तकोई इक्केश का पुत्र ईरा, अनातोती अबीएजेर, 29 सिब्बकै हूशाई, अहोही ईलै, 30 महरै नतोपाई, एक और नतोपाई बानाह का पुत्र हेलेद, 31 बिन्यामीनियों के गिबा नगरवासी रीबै का पुत्र इत्तै, पिरातोनी बनायाह, 32 गाश के नालों के पास रहनेवाला हूरै, अराबावासी अबीएल, 33 बहूरीमी अज्मावेत, शालबोनी एल्यहबा, 34 गीजोई हाशेम के पुत्र, फिर हरारी शागे का पुत्र योनातान, 35 हरारी साकार का पुत्र अहीआम, ऊर का पुत्र एलीपाल, 36 मकेराई हेपेर, पलोनी अहिय्याह, 37 कर्मेली हेस्रो, एज्बै का पुत्र नारै, 38 नातान का भाई योएल, हग्री का पुत्र मिभार, 39 अम्मोनी सेलेक, बेरोती नहरै जो सरूयाह के पुत्र योआब का हथियार ढोनेवाला था, 40 येतेरी ईरा और गारेब, 41 हित्ती ऊरिय्याह, अहलै का पुत्र जाबाद, 42 तीस पुरुषों समेत रूबेनी शीजा का पुत्र अदीना जो रूबेनियों का मुखिया था, 43 माका का पुत्र हानान, मेतेनी योशापात, 44 अश्तारोती उज्जियाह, अरोएरी होताम के पुत्र शामा और यीएल, 45 शिम्री का पुत्र यदीएल और उसका भाई तीसी, योहा, 46 महवीमी एलीएल, एलनाम के पुत्र यरीबै और योशव्याह, 47 मोआबी यित्मा, एलीएल, ओबेद और मसोबाई यासीएल।
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