5 जिस किसे घर म्ह जाओ, पैहले कहो, इस घर का कल्याण हो। 6 जै उड़ै कोए कल्याण कै जोग्गा होगा, तो थारा कल्याण उसपै थमैगा, न्ही तो थारे धोरै उल्टा ए आ ज्यागा। 7 उस्से घर म्ह रहो, अर जो कुछ उनतै मिलै, वोए खाओ-पीओ, क्यूँके मजदूर नै अपणी मजदूरी मिलणी चाहिए, घर-घर न्ही हांडणा।
8 जिस नगर मै जाओ, अर उड़ै के माणस थमनै उतारै, तो जो कुछ थारे स्याम्ही धरया जावै वोए खाओ। 9 उड़ै के बिमारां नै ठीक करो अर उनतै कहो, परमेसवर का राज्य थारे धोरै आण पोंहच्या सै। 10 पर जिस नगर म्ह जाओ, अर उड़ै कै माणस थमनै न्ही अपणावै, तो उनके बजारां म्ह जाकै कहो, 11 थारे नगर की धूळ भी, जो म्हारे पायां म्ह लाग्गी सै, हम थारे स्याम्ही झाड़ देवां सां, फेरभी न्यू जाण ल्यो के परमेसवर का राज्य थारे धोरै आण पोंहच्या सै। 12 मै थमनै कहूँ सूं, “के उस दिन उस नगर की हालत तै सदोम नगर की हालत घणी सहण जोग्गी होवैगी।”
16 “जो थारी सुणै सै, वो मेरी सुणै सै, अर जो थमनै तुच्छ समझै सै, वो मन्नै तुच्छ समझै सै, अर जो मन्नै तुच्छ समझै सै, वो मेरे भेजण आळे ताहीं तुच्छ समझै सै।”
18 यीशु नै उनतै कह्या, “जिब थम ओपरी आत्मायाँ नै लिकाड़ो थे तो मन्नै शैतान ताहीं सुर्ग तै बिजळी की तरियां पड़ता होया देख्या। 19 लखाओ, मन्नै थारे ताहीं साँपां अर बिच्छुआं ताहीं पायां तळै रोंदण का, अर बैरी की सारी सामर्थ पै हक दिया सै, अर किसे चीज तै थमनै कुछ नुकसान कोनी होवैगा। 20 फेरभी इतने राज्जी मतना होवो के आत्मा थारा कहणा मान्नै सै, पर इसतै राज्जी होवो थारे नाम सुर्ग पै लिक्खे सै।”
22 मेरे पिता नै मेरै ताहीं सब कुछ सौप दिया सै, अर किसे नै न्ही बेरा के बेट्टा कौण सै, सिवा पिता के, अर पिता कौण सै न्यू भी किसे नै कोनी बेरा सिवाए बेट्टे कै, अर वो जिसपै बेट्टा उस ताहीं जाहिर करणा चाहवै।
23 फेर चेल्यां की ओड़ बोहड़कै एक्ले म्ह बोल्या, “धन्य सै वे आँख, जो ये बात जो थम देक्खो सो। 24 क्यूँके मै थमनै कहूँ सूं के घणखरे नबियाँ अर राजयां नै चाह्या के जो बात थम देक्खो सो, देक्खै, पर न्ही देक्खी, अर जो बात थम सुणो सो, सुणै पर न्ही सुणी।”
26 यीशु नै उसतै कह्या, “नियम-कायदा म्ह के लिख्या सै? अर तू उसनै किस तरियां समझै सै?”
27 उसनै जवाब दिया, “तू प्रभु, अपणे परमेसवर तै अपणे सारे मन, अपणे पूरे प्राण अर अपणे सारी शक्ति अर अपणी सारी बुद्धि कै गेल्या प्यार राख, अर अपणे पड़ोसी तै अपणे जिसा प्यार राख।”
28 यीशु नै उसतै कह्या, “तन्नै ठीक कह्या, न्यूए करिये जिब्बे तू अनन्त जीवन पावैगा।”
29 पर उसनै खुद ताहीं धर्मी जाहिर करण की इच्छा तै यीशु तै बुझ्झया, “तो मेरा पड़ोसी कौण सै?”
30 यीशु नै एक कहाँनी बताकै जवाब दिया, “एक माणस यरुशलेम नगर तै यरीहो नगर म्ह जावै था, के डाकुआं नै घेर कै, उसका सब कुछ खोस कै, उस ताहीं नंगा कर दिया, अर पिट-छेतकै उस ताहीं अधमरा छोड़कै चले गये। 31 अर इसा होया के उस्से राही तै एक यहूदी याजक जावै था, पर उसनै उस ताहीं देखकै उसकी मदद कोनी करी अर चल्या गया। 32 इस्से ढाळ एक लेवी*(मन्दर म्ह यहूदी याजक की मदद करण आळा एक माणस) उस जगहां पै आया, उसनै भी उसकी मदद कोनी करी, अर वो चल्या गया। 33 फेर सामरी गाम का एक राहगीर ओड़ै तै लिकड़या, अर उस माणस ताहीं देखकै उसपै तरस खाया। 34 उसनै उसकै धोरै आकै उसके घायाँ पै तेल अर अंगूर का रस गेर कै पट्टी बाँध्धी, अर अपणे गधे पै चढ़ाकै सराय†(धर्मशाला) म्ह लेग्या, अर उसकी सेवा-पाणी करी। 35 दुसरे दिन उसनै दो दीनार (दो दिन की मजदूरी) काढ कै सराय कै माल्लिक तै दिये, अर कह्या, इसकी सेवा-पाणी करिये, अर जो कुछ तेरा और लाग्गैगा, वो मै बोहड़दा होया भर द्युगां।”
36 यीशु नै उस ताहीं कह्या, “इब यो बता तेरी समझ तै जिस माणस ताहीं डाकुआं नै घायल करा था, उन तीनां म्ह तै उस माणस का सच्चा पड़ोसी कौण था?”
37 उसनै कह्या, “वोए जिसनै उसपै दया करी।” यीशु नै उसतै कह्या, “जा, तू भी न्यूए करया कर।”
41 प्रभु यीशु मसीह नै मार्था तै जवाब दिया, “मार्था, हे मार्था, तू घणी बात्तां खात्तर फिक्र करै, अर परेशान हो ज्या सै। 42 पर एक बात जरुर सै, अर उस बढ़िया हिस्से ताहीं मरियम नै छाँट लिया सै जो उसतै खोस्या कोनी जावैगा।”
<- लूका 9लूका 11 ->